For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अक़ल का चश्मा(लघुकथा)राहिला

किसी भी सफ़र की बेहद आम,लेकिन जबरदस्त मानसिक प्रताड़ना वाली हरक़त से सोमी दो चार हो रही थी।उसके बगल में बैठे सज्जन गाहे वाहे हर संभव मौके पर उसे छूने का कोई अवसर हाँथ से नहीं गवां रहे थे।सफर लंबा था और बर्दास्त की हद हो रही थी।लेकिन संकोची स्वभाव आज उसपर भारी पड़ रहा था।ऐसे में अचानक उसकी नज़र मोबाइल पर पड़ी।और पता नहीं क्या सोचकर उसने अपनी सहेली को संदेश लिखना शुरू किया।
"सुन यार!इस समय बस में हूँ।और मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है।"
"क्यों.. क्या हुआ?"
"क्या कहूँ यार!मेरी बगल में एक छिछोरा बैठा है और कमीना बहाने-बहाने से छूने की कोशिश किये जा रहा है।"
"और तू बेवकूफ मुझसे बात करने में समय बरबाद कर रही है।"
"तो तू ही बता क्या करूँ?मुझे तो कुछ नहीं सूझ रहा।"
"उतार जूता और दे साले के मुँह में।"
"लेकिन इससे तो व्यर्थ का हंगामा होगा।"
"इसी सोच का फायदा उठा रहा है वो!कुछ नहीं होगा।तू बस हिम्मत से काम ले।तू तो मुश्किल से दो ,चार ही मार पायेगी, बाकी कसर तो उस बस में बैठे यात्री पूरी कर देंगें।"
"ठीक है, उतारती हूँ ।"कह,उसने झुककर जूता उतारा।"थोड़ी देर बाद-
"टिंग"संदेश आया ।
"बता अब क्या स्थिति है?फिर दी उसने कोई हरक़त?"
"नहीं..,नहीं दी और शायद अब देगा भी नहीं।"
"क्यों ?वो उतर गया क्या?"
"नहीं,यहीं बैठा है सिकुड़ कर। बस काले चश्मे की जगह, नज़र का चश्मा लगा है।"
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 822

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on July 16, 2016 at 8:13pm
बहुत शुक्रिया प्रिय जानकी दीदी! रचना आपको सार्थक लगी ।मेरे लिए हर्ष का विषय है।साद नमन
Comment by Janki wahie on July 15, 2016 at 7:44pm
वाह बहन , सटीक और सार्थक।सच्चाई बयान करती।बधाई
Comment by Rahila on July 15, 2016 at 2:04pm
आदरणीय मेहता सर जी!आपको रचना पर उपस्थित देख कर हार्दिक प्रसन्नता हुयी।आपने रचना को सराहा इसके लिए बहुत शुक्रिया ।सादर नमन
Comment by Rahila on July 15, 2016 at 2:01pm
आदरणीय नीता दीदी !आपको रचना पसंद आई मेरा तो लेखन ही सार्थक हो गया ।बहुत ,बहुत शुक्रिया ।सादर नमन
Comment by Rahila on July 15, 2016 at 1:55pm
आदरणीया राजेश दीदी!आपकी स्नेहिल टिप्पणी मेरा उत्साह और हौसला सदैव दुगना कर देती है।बहुत शुक्रिया।सादर नमन
Comment by Rahila on July 15, 2016 at 1:53pm
आदरणीय सर जी !बहुत, बहुत शुक्रिया रचना की सराहना के लिये ।सादर नमन।
Comment by Rahila on July 15, 2016 at 1:08pm
आदरणीय कबीर साहब ! आप सही कह रहे है।मैं ही भाषा को नही समझ पायी ।शुक्रिया आपका जो आपने मुझे दोवारा समझने का बात कही ।सादर
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 14, 2016 at 10:59pm
राहिला जी बच्चियो के साथ आये दिन होने वाले इस अशोभनीय व्यवहार को रचना का विषय बनाकर और एक सांकेतिक उपाय सुझाते हुए एक उम्दा कथा की रचना की आप ने। आदरणीय विजय जी का सुझाव भी इसी प्रकार
का अच्छा उपाय है जो काफी कारागार हो सकता है। बरहाल इस बेहतरीन रचना के लिए मेरी ओर से दिळी मुबारकबाद कबूल कीजिये। सादर।
Comment by Nita Kasar on July 14, 2016 at 9:17pm
नजर के चश्में से उसे अपनी करतूत का आभास हो गया लगता है,मैसेज टाइप करना ही चेतावनी से कम नही होता एेसी स्थिति में बच्चियाँ बस हिम्मत कर लें बाकी राम जनता पर छोड दें ।बधाई आपको राहिला जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 14, 2016 at 7:29pm

प्रिय राहिला जी ,वाह्ह्ह  वाह बेहतरीन लघु कथा लिखी है मजा  आ गया लड़कियों में आज इस हिम्मत  की जरूरत है |

हार्दिक बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service