जाने हम किसके मोहताज़ हैं,
जज्बात वो कल ना रहेंगे, जो आज हैं।
इतने मशरूफ़ भी ना रहो मेरे हमदम,
इस उम्र के बड़े लंबे परवाज़ है।
नजर भर कर देखो, हसरतों की बात है,
एक पल का नहीं, उम्र भर का साथ है।
बेरुखी जहर बन जाएगी आहिस्ता-आहिस्ता,
सुनो सरगोशी से ये बात, राज की बात है।
सम्हलने के लिए इबरत ही काफी है,
अंजाम पर तो माफी तलाफ़ी है।
मर जाती है जब सारी ख्वाहिशें तो,
फिर अहसास की सांस भी ना काफी…
Added by Rahila on February 18, 2019 at 5:00pm — 4 Comments
" पापा कह रहे थे कि आपने अपना व्यवसाय जमाने के चक्कर में अब तक शादी नहीं की , यही कारण रहा था या और कुछ ?" उस एकांत मुलाकात में मोना ने रवि से पूछा। " आपके मन में ये सवाल आया , मतलब आपको लगता है कि कोई और भी कारण हो सकता है ?" "जी... , बस ऐसे ही शंका हुई ।" उसके प्रतिप्रश्न पर वह तनिक सकपका गयी। "हम्म..., मुझे भी माँ ने ऐसा ही कुछ आपके बारे में बताया था।" "क्या...?" "यही कि आपने भी अपने कैरियर को सँवारने के लिए काफी अच्छे- अच्छे रिश्ते ठुकराये हैं? कारण यही था, या कुछ और? " प्रतिध्वनि के…
ContinueAdded by Rahila on May 9, 2018 at 12:02am — 4 Comments
"सर ! बलात्कार का केस और ये नार्कोटेस्ट ..ये सीबीआई जाँच की खुद माँग करना !!!
ये तो ख़ुदकुशी करना हुआ ।"
शतरंज की बिसात पर अकेले बैठे खेल रहे मंत्री जी से मुँह लगे सेक्रेटरी ने चिंतित होकर कहा।
" सुरेश बाबू ! इतनी चिंता क्यों करते हो ? इससे तो आपका बीपी बढ़ जाएगा । शान्ति पकड़ो जरा । देखे नहीं का..., जनता की सवालिया चितावन को ? लेकिन हम जरा दम भरे नहीं , कि गेट के बाहर भीड़ छटी नही। "
"लेकिन...!!!
"अच्छा यह सब छोड़ो..., जरा यहाँ आओ और बताओ तो सरी इस पारी को कौन…
Added by Rahila on April 20, 2018 at 7:15am — 4 Comments
"अरे चमनलाल...! आओ-आओ भैया!कितने वर्षों बाद , गांव का रास्ता कैसे भूल गए ? " खुशी से झूमते हुए उसने , उसको कसकर गले लगा लिया।
"बस भैया चले ही आ रहे हैं , अरे...! घर में सन्नाटा सा पसरा है, कोई है नहीं का?" उसने बाखर का सरसरी तौर पर मुआयना करते हुए कहा।
"है ना..., तुम्हारी भाभी हैं भीतर,
अरे सुनती हो! चमनवा आया है ,जरा बढ़िया सी चाय तो बना लाओ दुई कप।"
"और बहुएँ कहाँ हैं ?"
" बड़ी , आंगनबाड़ी में सुपरवाइजर हो गयी है , छोटी तो मास्टरनी थी ही। आती होंगीं समय तो हो…
ContinueAdded by Rahila on March 8, 2018 at 12:30pm — 17 Comments
"जानते हो ? इस पतझड़ के मौसम में वनों का ये उजड़ापन फागुन पर कहीं कलंक ना बन जाये, इसलिये ये टेसू के फूल मांग के सिंदूर की तरह वनों का सौंदर्य बचा लेते है।" वह मंत्रमुग्ध सी उन मखमली जंगली फूलों को निहारती हुई खोई-खोई आवाज़ में बोली। "तुम भी कहाँ हर बात को इतनी गहराई से देखती हो, हद है।" नकुल , फूलों पर उचटती सी नजर डालते हुए मुस्कुरा कर बोला। आज उसकी गाड़ी ससुराल का रास्ता नाप रही थी। "मेरा तो बचपन ही इन्हें फलते-फूलते देखकर गुजरा है। मालूम , छुटपन में इन फूलों को देख कर मैं समझ जाती थी कि होली…
ContinueAdded by Rahila on March 3, 2018 at 9:25pm — 7 Comments
Added by Rahila on February 26, 2018 at 10:58pm — 8 Comments
"हुआ क्या है ? पागल! कुछ तो बता।" सुमि की बार -बार भरती - पुछती आँखे देख कर तृषा ने जोर देकर पूछा।
"मुझे लगता है माँ का किसी के साथ...!" कह कर वह अपनी सबसे नजदीकी सखी के गले लगकर रो पड़ी।"
"क्याsss किसी के साथ....? तेरा दिमाग़ तो ठिकाने पर है ? ये शक़ कैसे पनपा तेरे मन में? उसने अविश्वास जताया।
आज वेलेंटाइन डे है ,जब तक पापा रहे , वह उनके लिए फूल खरीदतीं थीं । लेकिन आज जब वह नहीं हैं तो फिर किसके लिए खरीद रहीं थीं ?"
"मतलब तूने उन्हें फूल खरीदते देखा?"
"सिर्फ…
Added by Rahila on February 13, 2018 at 10:54am — 10 Comments
"लगता है एक तारीख है।" बस्ती में रोने -पीटने की आवाज सुनकर उसने मर्दानी आवाज में कहा।
"अब महीने के लगभग दस दिन यही चीख पुकार मची रहेगी।"दूसरी, ढोलक कसते हुए बोली।
"हाँ... सही कह रही हो...,मन तो करता है निकम्मों के हाथ पैर तोड़ दूँ।"
"तूने तो मेरे दिल की बात कह दी।"
"बेचारी ये औरतें सारा-सारा दिन दूसरों के चूल्हें -चौके समेटती फिरती है।और अंत में ये ईनाम मिलता है।"
"क़िस्मत तो देखो इन जुआरियों ,शराबियों की, निकम्मो को कैसी सोने के अंडे देने वाली मुर्गियां हाथ लगी…
Added by Rahila on January 11, 2018 at 11:23am — 13 Comments
"हैलो.., गुड मॉर्निंग मैडम!"
"गुड मॉर्निंग, कौन बोल रहे हैं?"
"मैडम ! हम एस बी आई से बोल रहे हैं।
मैडम ! आपका एटीएम ब्लॉक होने वाला है, यदि आप चाहती हैं कि आपका एटीएम यथावत चालू रहे, तो आप अपने एटीएम का नम्बर वेरिफाई करवाएं।"
"ये आप क्या कह रहे हैं?"
"घबराइए नहीं मैडम ! यदि आप इस असुविधा से बचना चाहिती हैं तो अपना एटीएम नम्बर बतलायें।"
"भाई साहब! नम्बर तो मैं बता दूं, लेकिन थोड़ी देर बाद कॉल कीजियेगा ।पहले जरा इनकी खबर ले लूं इनकी हिम्मत कैसे हुई मेरा…
Added by Rahila on December 26, 2017 at 3:30pm — 11 Comments
Added by Rahila on November 29, 2017 at 11:49am — 7 Comments
Added by Rahila on November 19, 2017 at 6:39pm — 6 Comments
Added by Rahila on November 16, 2017 at 12:30pm — 11 Comments
Added by Rahila on November 6, 2017 at 2:00pm — 17 Comments
Added by Rahila on October 10, 2017 at 2:29pm — 8 Comments
Added by Rahila on September 30, 2017 at 9:51pm — 10 Comments
पिताजी चाहे सही करें या गलत, बड़की बुआ के लिए तो वह हमेशा सीधे सच्चे और साधु ही थे ।मज़ाल कि एक शब्द भी उनके खिलाफ सुन लें।
"ऐसा है कुसुम कुमारी!पिछले जनम में मोती दान किये होंगे ,तभई छुटके जैसन पति मिला।ये फिजूल का रोना- धोना करके छुटके की छवि मटियामेट करवे की कोशिश ना करो ।कछु समझी का नहीं?"
पिताजी का इस तरह पक्ष लेने पर सब्जी काटती सुगंधा अंदर तक सुलग गयी।
"जिज्जी मैं कब किसी से कुछ कह रही हूं?"उसने पल्लू से नीला पड़ा बाजू ढँकते हुए कहा।
"मेरे सामने बनो मत !खूब जान…
Added by Rahila on September 27, 2017 at 9:16pm — 14 Comments
Added by Rahila on September 11, 2017 at 1:30pm — 10 Comments
"बेटा !बात हमारी गैरहाजिरी में उसे घर लाने की है।"
"तो मैं क्या करती अम्मी?आप ही बताएं ।उसे इस हाल में छोड़ा जा सकता था क्या?शुभम और रोहित से बोला था मैनें इसे एक दिन के लिए अपने घर पर रख लें, लेकिन उनके पास भी अपनी वाजिब वजहें थीं"
"ये सब मैं नहीं जानती शमा!तुम्हारे अब्बू को जब पता लगेगा की हमारी गैरहाजिरी में तुमने... "
"तो क्या गलत किया अम्मी?"
वह माँ की बात बीच में काट कर बोली।
"एक भी दिन का नागा ना करने वाला लड़का, चार दिन से ना स्कूल आया ना ट्यूशन।तब कहीं जाकर…
Added by Rahila on September 5, 2017 at 12:29pm — 11 Comments
Added by Rahila on July 17, 2017 at 7:59pm — 5 Comments
Added by Rahila on July 11, 2017 at 6:26am — 9 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |