For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

**एन पासांत**(लघुकथा)राहिला

"सर ! बलात्कार का केस और ये नार्कोटेस्ट ..ये सीबीआई जाँच की खुद माँग करना !!!
ये तो ख़ुदकुशी करना हुआ ।"
शतरंज की बिसात पर अकेले बैठे खेल रहे मंत्री जी से मुँह लगे सेक्रेटरी ने चिंतित होकर कहा।
" सुरेश बाबू ! इतनी चिंता क्यों करते हो ? इससे तो आपका बीपी बढ़ जाएगा । शान्ति पकड़ो जरा । देखे नहीं का..., जनता की सवालिया चितावन को ? लेकिन हम जरा दम भरे नहीं , कि गेट के बाहर भीड़ छटी नही। "
"लेकिन...!!!
"अच्छा यह सब छोड़ो..., जरा यहाँ आओ और बताओ तो सरी इस पारी को कौन जीतेगा?"

"जी...!!! "

"जी-जी क्या ?? बोलो ...,चलो मत बोलो... आज हम ही तुमको एक ठो पते की बात बताते हैं। जानते हो..., ये सत्ता और शतरंज का खेल खेलने में कब मज़ा आता ?? "
वह मोहरों पर नजर गड़ाये हुए बोले।
".....?"

"ये देखो...., ये चली प्रतिद्वंद्वी की ओर से चाल और फिर ये हमारी ओर से इस गेम की विशेष चाल ..., हा... हा ...हा... और तुम खामखाँ टेंशन लिए जा रहे हो ?"
उस विद्रूपी हँसी पर बिसात पर बिछे मोहरे कसमसा कर रह गये।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 21, 2018 at 10:37am

मोहतरमा राहिला जी आदाब, बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 20, 2018 at 2:43pm

आदरणीया राहिला जी, बहुत ही बढ़िया लघुकथा। बधाई स्वीकार करें।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 1:47pm

क्या ख़ूब.. बहुत शानदार लघुकथा हुई है ..
ढेरों बधाइयाँ..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 20, 2018 at 11:59am

आदरणीया राहिला जी इस रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
17 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service