" पापा कह रहे थे कि आपने अपना व्यवसाय जमाने के चक्कर में अब तक शादी नहीं की , यही कारण रहा था या और कुछ ?" उस एकांत मुलाकात में मोना ने रवि से पूछा। " आपके मन में ये सवाल आया , मतलब आपको लगता है कि कोई और भी कारण हो सकता है ?" "जी... , बस ऐसे ही शंका हुई ।" उसके प्रतिप्रश्न पर वह तनिक सकपका गयी। "हम्म..., मुझे भी माँ ने ऐसा ही कुछ आपके बारे में बताया था।" "क्या...?" "यही कि आपने भी अपने कैरियर को सँवारने के लिए काफी अच्छे- अच्छे रिश्ते ठुकराये हैं? कारण यही था, या कुछ और? " प्रतिध्वनि के समान प्रश्न सुनकर मध्यवयी मोना मुस्कुराए बगैर ना रह सकी। "यदि मैं कहूँ कुछ और बात है तो? " कहते हुए वह काफी असहज हो गई। "तो मैं भी कुछ ऐसा ही कहूँगा। लेकिन आपसे एक वादा चाहता हूँ , जो भी बताऊंगा प्लीज़... उसे आप अपने तक रखेंगी।" "ऐसा क्या है...? बरहाल वादा करती हूँ किसी को ना कहूँगी।" " जानता हूँ इस बार भी अपने माँ-बाप को मायूस करूँगा। लेकिन इसके लिए मैं किसी लड़की का जीवन बरबाद तो नहीं कर सकता ना...!" इस दुर्बोध से कथ्य ने मोना को असमंजस में डाल दिया। "कोई अफेयर...?" "जी ऐसा ही समझ लीजिए...!" "तो प्रॉब्लम कहाँ है?" "कोई एक्सेप्ट नहीं कर करेगा । ना माँ - बाप, ना समाज।" "इसका मतलब आप जातपात में उलझे हैं ?" "नहीं...!" "फिर ?" "वह .., वह मेरे ऑफिस का एक सहकर्मी है। अमित!" उसने नजरें चुराते हुए हकला कर कहा। "क्या..., क्या मतलब...? मतलब आप!!!" उसने खुदबखुद अपने ही सवाल का जबाब दे डाला। " जब तक ये बात छुपी है जी पा रहा हूँ , वरना कौन जीने देगा ? ऐसे में मैं शादी कर लूँ , तो मेरा अपराध क्षम्य होगा.. ? कौन लड़की ऐसे आदमी को बर्दाश्त करेगी , बताईये ?" ये सब सुनकर मोना भौंचक्की सी उसे देखती रह गयी ।ततपश्चात घुटे हुए शब्दों में बोली- "समझ सकती हूँ..., लेकिन यदि कोई लड़की ये सब बर्दाश्त कर ले तो ...? तो क्या आप ऐसी ही किसी लड़की को बर्दाश्त कर पाएंगे ? " सिर झुकाकर कहे इस कथन पर कमरे में सन्नाटा पसर गया। थोड़ी देर की गहन चुप्पी के बाद रवि ने आगे बढ़कर उसका का हाथ थाम लिया। और दोनों की आँखे विधि के इस कठोर परिहास को करारा जबाब देते हुए मुस्कुरा उठीं। मौलिक एवं अप्रकाशित
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एक बोल्ड विषय पर बढ़िया लघु कथा हुई प्रिय राहिला जी बहुत बहुत बधाई
आदरणीया राहिला जी, नमस्कार । अच्छी लघुकथा हुई है । बधाई स्वीकार करें ।
मुहतरमा राहिला साहिबा ,उम्दा लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।
मोहतरमा राहिला जी आदाब,अच्छी प्रस्तुति,बधाई स्वीकार करें ।
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