For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक क्लिक(लघुकथा)राहिला

पोते को पूरे समय लेपटॉप के आगे आंखे गड़ाये देख शर्मा जी! को खासी चिंता होने लगी।लेकिन जब भी वो इस बारे मेंउससे कुछ बोलते, वो उखड़ के कहता-"दादाजी नेट पर जरूरी काम कर रहा हूँ, फालतू समय बरबाद नहीं।" परन्तु उसकी ये बात उन्हें तनिक भी मुतमईन ना कर पाती।तब उन्होंने अपने बेटे से इस बारे में बात की तो-
"अरे बाबूजी!आपको तो इस बात की ख़ुशी होना चाहिये, कि इंटरनेट से दिन बा दिन उसकी जानकारी का स्तर बढ़ रहा है और एक आप हैं कि...।"
"बेटा जानकारी होना अच्छी बात है परंतु उसकी कोई सीमा तो होनी चाहिए।लेकिन..."
वो बात पूरी करते इस से पहले बेटा बोल उठा।
"लेकिन क्या?बाबूजी!कम से कम बाहर जाकर आवारागर्दी से तो लाख बेहतर है कि घर बैठ कर समय का सदुपयोग कर रहा है।"
"देखो बाहर जाकर आवारागर्दी की दुहाई तो दो मत,इतनी तो मुझे भी समझ है।लेकिन ये जो नेट पर आवारागर्दी हो रही है इस पर विचार जरूर करना।"
"आपकी बातें सुनकर तो लग रहा है उसे नहीं,बल्कि आपको समझाने की जरूरत है।अच्छा बताओ पहले चाह कर भी हर क्षेत्र की जानकारी होना दूर की कौड़ी थी या नही? लेकिन आज अगर दुनिया को टक्कर देनी है तो जबर्दस्त ज्ञान होना बहुत जरूरी है और इसके लिये बस एक क्लिक, और जानकारी उदाहरण सहित हाजिर।"
"बस बेटा!इसी एक क्लिक की ही तो चिंता हो रही है, ये बेमक़सद है या बामक़सद।"
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on July 8, 2016 at 8:43pm

बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीय परवेज साहब ! रचना को पढ़ने के लिए आपने अपना अमूल्य समय दिया ।बहुत आभार

Comment by Parvez khan on July 8, 2016 at 8:20pm
बहुत ही लाजबाब लघु कथा आद राहिला जी क्या बात कही दादा जी बेमकसद या बामकसद
Comment by Rahila on June 28, 2016 at 5:54pm
बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील सर जी!आपकी टिप्पणी ने रचना के मर्म को खूब उजागर कर दिया।आपका बहूत आभार ।सादर
Comment by Sushil Sarna on June 28, 2016 at 1:38pm

"बस बेटा!इसी एक क्लिक की ही तो चिंता हो रही है, ये बेमक़सद है या बामक़सद।"

बिलकुल सही आदरणीया राहिला जी आपने प्रस्तुत लघु कथा के माध्यम से उस तथ्य को उजागर करने की सार्थक कोशिश की है जिसमें आज अपरिपकव हाथों द्वारा इंटरनेट का सदुपयोग कम और दुरूपयोग अधिक हो रहा है जो व्यक्तिगत , सामाजिक स्तर पर गहन सोच का विषय है। इस संदेशप्रद सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इसकी पंच लाईन विषय को सार्थक कर रही है।

Comment by Rahila on June 28, 2016 at 1:09pm
आदरणीय रवि सर जी!आपको रचना पर उपस्थित देखकर वाकई बहुत खुशी हुयी।उसपर रचना पर सकारात्मक टिप्पणी देख, बहुत अच्छा लगा।सादर
Comment by Rahila on June 28, 2016 at 1:06pm
बहुतशुक्रिया आदरणीय राजेश दीदी! आपको रचना सार्थक लगी, मेरा लेखन सार्थक हो गया।सादर
Comment by Ravi Prabhakar on June 28, 2016 at 10:05am

इंटरनेट एक दोधारी तलवार है। अब डिपेंड करता है कि आपकी क्‍िलक बेमकसद है या बामकसद। सुगठित व सोद्देश्‍य कथा । बधाई आदरणीय राहिला 'सोनू' जी ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2016 at 10:04am

एडिक्शन किसी भी चीज का हानिकारक है आज कल के बच्चों को टोको  तो हजार तर्क दे देंगे आपको रूढ़िवादी का ख़िताब दे देंगे 

मातापिता को ही सोचना चाहिए कि बच्चों को कितनी देर नेट करना चाहिए तथा नेट पर वो कौन सा ज्ञान अर्जन कर रहा है उस पर भी नजर रखनी चाहिए वरना  तो ये एक क्लिक बस ..बच्चा राम भरोसे 

बहुत अच्छे विषय पर एक सार्थक लघु कथा हुई हार्दिक बधाई प्रिय राहिला जी 

Comment by Rahila on June 27, 2016 at 7:15pm
बहुत शुक्रिया आदरणीया प्रतिभा दीदी!आपकी स्नेहिल टिप्पणी मेरी गलती से डिलीट हो गयी।क्षमाप्रार्थी हूँ।सादर नमन
Comment by Rahila on June 27, 2016 at 6:58pm
बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सर जी!आपको रचना अच्छी लगी बहुत शुक्रिया।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service