For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

***टेसू***(लघुकथा)राहिला

"जानते हो ? इस पतझड़ के मौसम में वनों का ये उजड़ापन फागुन पर कहीं कलंक ना बन जाये, इसलिये ये टेसू के फूल मांग के सिंदूर की तरह वनों का सौंदर्य बचा लेते है।" वह मंत्रमुग्ध सी उन मखमली जंगली फूलों को निहारती हुई खोई-खोई आवाज़ में बोली। "तुम भी कहाँ हर बात को इतनी गहराई से देखती हो, हद है।" नकुल , फूलों पर उचटती सी नजर डालते हुए मुस्कुरा कर बोला। आज उसकी गाड़ी ससुराल का रास्ता नाप रही थी। "मेरा तो बचपन ही इन्हें फलते-फूलते देखकर गुजरा है। मालूम , छुटपन में इन फूलों को देख कर मैं समझ जाती थी कि होली आने वाली । " उसने बेटी का टोपा ठीक करते हुए कहा। "भई हमारे यहाँ तो ये पाए नहीं जाते । हमें तो स्कूल की होने वाली छुट्टियों से पता चलता था कि होली आने वाली है ।" उसने ठहाका मारा । लेकिन अनुष्का अभी भी उन्हीं फूलों में खोई हुई थी। "कितनी अजीब बात है ना , शहर में हम गमले में लगे पौधों की कितनी देखभाल करते हैं, जरा ध्यान नहीं दिया और किस्सा खत्म। यहाँ इन्हें देखो ..., जाती ठंड से भीषण गर्मी झेलेंगे, फिर भी अगले साल हँसते खिलखिलाते हुए खिल उठेंगे। ना खाद पानी , ना देखभाल।" कहते हुए उसने गाड़ी का शीशा चढ़ा दिया। "अरे शीशा क्यों बंद कर दिया?" " हवा ठंडी है । जाती हुई सर्दियाँ हैं जूही की तबियत खराब हो सकती है ।" "अरे यार! इतना तो पहनाकर रखा है, फिर भी...!" "आप जानते तो हो इतना सहेजने के बाद भी जरा में बीमार पड़ जाती है।" तभी उसकी नजर सड़क के किनारे बिक रहे ताज़े अमरूदों पर पड़ी। वह उछल कर बोली- "अरे-अरे... जरा गाड़ी रोको। ये ताज़े अमरूद यहाँ की स्पेशियलिटी हैं। मुझे लेने हैं।" "लेकिन जूही को अमरूद नुकसान तो नहीं कर जायेंगे।" उसने शंका जाहिर की। " एक पूरा नहीं दूँगी । थोड़ा सा खाने से कुछ नहीं होता।" नकुल ने गाड़ी रोक दी। और उतर कर महिला से मोलभाव करने लगा । पास ही उसका नंगधडंग , हष्टपुष्ट सा बालक , जो लगभग जूही का हमउम्र होगा , अपने दोनों हाथों में अमरूद लिए गपागप खा रहा था। "क्या नाम है बेटा तुम्हारा ?" नकुल ने यूँ ही पूछ लिया। " टेसू " लड़के ने खिली सी मुस्कान के साथ जबाब दिया। मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 8, 2018 at 6:15pm

जब भी, जितना भी समय मिले कोशिश ज़रूर करें ।

Comment by Rahila on March 8, 2018 at 12:48pm

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय उस्मानी साहब! सादर

Comment by Rahila on March 8, 2018 at 12:48pm

आदरणीय कबीर साहब आदाब ! आपकी शिकायत बिल्कुल जायज है । लेकिन मैं घर , बाहर और लेखन  के बाद , सक्रियता के लिए समय नहीं बचा पा रही हूँ। शायद मैं सब कामों में तालमेल बैठाने में असफल  हो गयी हूँ। एक वजह ये है और दूसरी ये कि दिन के  8 घण्टे बहुत वीक नेटवर्क में रहती  हूं तो जब कभी समय मिलता भी है तो सक्रिय नहीं हो पाती। 

आपने रचना को पसंद किया इसके लिए शुक्रिया।सादर

Comment by Rahila on March 8, 2018 at 12:38pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सर जी!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 6, 2018 at 5:50pm

आपकी शैली की एक और बढ़िया प्रस्तुति। रचना और कथ्य से गुजरता बेहतरीन शीर्षक। हार्दिक बधाई आदरणीया राहिला जी।

Comment by Samar kabeer on March 5, 2018 at 10:47pm

मोहतरमा राहिला जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

मंच पर आपकी सक्रियता रचना पोस्ट करने और उस पर आई प्रतिक्रयाओं के जवाब देने तक ही क्यों सीमित रहती है ?

Comment by TEJ VEER SINGH on March 5, 2018 at 11:21am

हार्दिक बधाई आदरणीय राहिला जी।बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
8 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service