For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विकास का सफ़र (व्यंग्य)राहिला

छः पहियाँ की रेलगाड़ी ,
पब्लिक उसमें बैठी ,ठाड़ी।
आगे -पीछे ,ऊपर- नीचे,
भरे पड़े थे नर और नारी।।

दबा-दबा के ठसा -ठसा के ,
मुँह सुकोड़े नाक दबा के।
एक पे पांच, एक पे पाँच
कंडेक्टर ठूँसे बुला- बुला के।।

पसीना चू रहा ,आ रही बास,
बीड़ी जल रही आस -पास।।
उसपर चूरन कृपा हत्यारी,
दूभर हो गया लेना सांस।।

पंखा झल रहे, फूं-फूं कर रहे,
बच्चा बिलख कर कूं -कूं कर रहे।।
क्वार महीना,चटक पसीना
बस में सब अंडे से उबल रहे।।

गड्डों में बलखाती बस,
लहर -लहर,लहराती बस।
क्षमता का गला घोंट कर ,
तिगुनी पर इतराती बस।।

खाकी टंगी ,घूस खूंटी पर ,
नियम कानून ,चूल्हे में धर
अपनी -अपनी सबने साधी
जनता जिये या जाए मर।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on October 15, 2017 at 8:21pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय महेंद्र सर जी!सादर
Comment by Mahendra Kumar on October 6, 2017 at 9:54pm

व्यंग्यात्मक लहजे में बहुत ख़ूब कविता कही है आपने आ. राहिला जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Rahila on October 3, 2017 at 9:06am
बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय सर जी!भुक्तभोगी का दर्द है जो फूट-फूट कर निकला ।सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2017 at 8:00am
आदरणीय सुश्री राहिला जी , बहुत बहुत बधाई , साक्षात् बस यात्रा करा दी आपने। सादर।
Comment by Rahila on October 2, 2017 at 9:40pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय मिश्रा सर जी!आपको रचना पसंद आई मेरा लेखन सार्थक हुआ।सादर
Comment by Rahila on October 2, 2017 at 9:38pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय कबीर साहब!आदाब।
Comment by Rahila on October 2, 2017 at 9:37pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय उस्मानी जी!आपको रचना पसंद आई मेरे लिए हर्ष का विषय है।सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 1, 2017 at 6:29pm
आदरणीय राहिला जी सूंदर प्रस्तुति के किये हार्दिक बधाई। ये अंदाज भी खोइब् भाया।वाह
Comment by Samar kabeer on October 1, 2017 at 5:56pm
मोहतरमा राहिला जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 1, 2017 at 12:51am
वाह...
कविता व्यंग्य में है लिख डारी,
सबको लग रई जा बहुतई प्यारी,
बुलेट-ट्रेन सी जा कलम चलत,
तुरतईं पोलें खोल रई अब सारी।

बेहतरीन सृजन के लिए बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरमा राहिला साहिबा। किसी छंद में पिरोने पर इस में चार चांद लग जायेंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service