For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुस्से को शांति में बदलने
में वक्त लगता है......
अंधेरों से उजाले चमकने
में वक्त लगता है......
सब्र कर, कोशिशें अपनी
जारी रख
जंग लगे ताले को खुलने
में वक्त लगता है. ....
जब थक जाए तो रूक,
सोच, हिम्मत बुलन्द कर,
हर हार के बाद जीतने
में, वक्त लगता है. .....
फिर से महकेंगे तेरे
घर-आंगन,टूटे सपनों को जोड़,
बोल उठेगी तेरी आत्मा, टूटे को संभलने
में वक्त लगता है. ....
क्या सोच रहा भविष्य बारे,
भरोसा रख,
घटा जब छाई आसमां में, बरसने
में वक्त लगता है. .....
बहारें आई हैं और आती
रहेंगी चमन में,
इन्तजार कर, जेठ के बाद सावन
आने में, वक्त लगता है. .....
दाने-दाने को मोहताज है
आज, थोड़ा और उत्साह
बढ़ाकर देख,
बुरा वक्त छंटने में भी
वक्त लगता है।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 460

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 4, 2016 at 11:12am
आदरणीय सतविंदर भाई जी ये सब आप मित्रों का स्नेह है। हार्दिक आभार ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 3, 2016 at 8:45pm
वाह्ह्ह् आदरणीय सुरेश भाई जी,बहुत् उम्दा विचारों को शाब्दिक किया है आपने।हार्दिक बधाई।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 3, 2016 at 8:17pm
आदरणीय श्री अशोक कुमार रक्ताताले जी अपने सुन्दर विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक आभार।आप जैसे मित्रों का सहयोग बना रहे बस यही कामना है।
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 3, 2016 at 11:41am

आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी सादर, सुन्दर रचना हुई है. सच है हर  बात समय चाहती है. बहुत-बहुत  बधाई.सादर. 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 2, 2016 at 1:30pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सादर आभार । आपने जो मार्गदर्शन किया है सिरोधार्य है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 2, 2016 at 1:25pm

आदरनीय सुरेश भाई , बहुत अच्छी वैचारिक रचना हुई है , हार्दिक बधाई आपको ।

गुस्से को खुशी में बदलने
में वक्त लगता है......        क्या  खुशी के स्थान मे शांति कहना उचित नही होगा ,? अर्थात --

गुस्से को शांति में बदलने
में वक्त लगता है......           ग़ुस्से के कांट्रास्ट मे खुशी सही नही लग रहा है । सोचियेगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service