For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस , यूँ ही ....

मुस्कुराई थी
उस रात
क्या तुम
बस
यूँ ही

गुनगुनाई थी
उस रात
क्या तुम
बस
यूँ ही

शरमाई थी
उस रात
क्या तुम
बस
यूँ ही

बहार बन के
आई थी
उस रात
क्या तुम
बस
यूँ ही

मुझ में समाई थी
उस रात
क्या तुम
बस
यूँ ही

मेरे लिए
रोयी थी
उस रात
क्या तुम
बस
यूँ ही

नहीं
उस रात
तुम शायद
नहीं रोयी थी
बस
यूँ ही

शायद
मेरे अहसासों की आतिश से
तुम्हारी करवटें
सुलग उठी थी
या
शायद
तुम्हारी वेणी के फूल
किसी छुअन को
तड़प उठे थे
या
शायद
रक्ताभ अधरों की तृषा
नयनों के घरौंदों में
सिमट न सकी थी
या शायद
तुम अपने अस्तित्व के
अवगुंठन में
मेरे अस्तित्व के
अहसासों की
प्रतिध्वनि से लिपट
तन्हाई की झील में
प्रेम पिपासा से व्याकुल
अपने अधीर बाहुबन्धों में
मेरे बाहुबन्धों की
आतिश महसूस कर
किसी मोम सी
पिघल रही थी

सच कहो
यही बात थी न

उस रात
तुम ही
नहीं रोयी थी
बस
यूँ ही

उस रात तो
रात भी रोयी थी
बस
यूँ ही


सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 7, 2016 at 1:15pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी सृजन को प्रोत्साहित करती आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 6, 2016 at 9:04pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। क्या खूबसूरत कविता लिखी है। मन प्रसन्न हो गया।बस 
यूँ ही |

Comment by Sushil Sarna on November 6, 2016 at 2:15pm

आ.   सुनील प्रसाद(शाहाबादी)     जी प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on November 6, 2016 at 6:32am
बहुत भावात्मक उपस्थिति दर्ज कराई है आदरणीय दिली दाद कुबूल फरमाए।
Comment by Sushil Sarna on November 4, 2016 at 7:15pm

आदरणीय समर कबीर साहिब सृजन को प्रोत्साहित करती आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Samar kabeer on November 4, 2016 at 5:21pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,हमेशा की तरह बढ़िया भावपूर्ण कविता लिखी है आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, दीपपर्व की शुभकामनाएँ।  छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित…"
58 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अशोक  भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका।  लगता है गेयता की समस्या  मेरी…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद  भाव स्पष्ट करने  के लिए |"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"लड़ियाँ  झूमें  ओने-कोने,  फूले-फले  त्योहार।...उत्तम कामना है आपकी किन्तु…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" दूर दूर रहना मजबूरी, बिखर गया परिवार।               …"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ग्राहक सोचे क्या-क्या ले लूँ , और किसे दूँ छोड़.... सच यही स्थिति होती है सजा हुआ बाज़ार देखकर.…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंद गीत पर आपकी सराहना ने सृजन को सार्थकता प्रदान की है.…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आपको भी दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रस्तुत…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हृदय से आभार. सादर "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service