For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उतर जाए अगर झूठी त्वचा तो (ग़ज़ल)

बह्र : १२२२ १२२२ १२२

 

उतर जाए अगर झूठी त्वचा तो।

सभी हैं एक से साबित हुआ, तो।

 

शरीअत में हुई झूठी कथा, तो।

न मर कर भी दिखा मुझको ख़ुदा, तो।

 

वो दोहों को ही दुनिया मानता है,

कहा गर जिंदगी ने सोरठा, तो।

 

समझदारी है उससे दूर जाना,

अगर हो बैल कोई मरखना तो।

 

जिसे मशरूम का हो मानते तुम,

किसी मज़लूम का हो शोरबा, तो।

 

न तुम ज़िन्दा न तुममें रूह ‘सज्जन’

किसी दिन गर यही साबित हुआ, तो।

--------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 27, 2016 at 6:34pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय मिथिलेश जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 27, 2016 at 6:33pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 27, 2016 at 6:33pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 27, 2016 at 6:33pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 27, 2016 at 6:32pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आमोद श्रीवास्तव जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 22, 2016 at 11:43pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, आपकी गज़लें वाकई भाव और शिल्प स्तर पर अद्भुत होती है. एक पाठक इनसे गुजरते हुए न केवल नयेपन पर मुग्ध होता है बल्कि जी उठता है. इस जीवंत ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई स्वीकारें. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 22, 2016 at 11:25am

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , ' तो ' रदीफ  मेरे अनुसार तो बहुत ही कठिन रदीफ है , क्या बात है , आपने जिस सहजता से शेर कहे हैं , काबिले तारीफ है , दिल से मुबारक बाद स्वीकार कीजिये ।

Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2016 at 5:56am
आदर्णीय धर्मेन्द्र जी सादर अभिवादन। उम्दा गजल के लिए बधाई निवेदित है।
Comment by Gurpreet Singh jammu on November 20, 2016 at 8:37pm
वाह धर्मेंद्र जी वाह.आपकी तो बात ही निराली है.इतने अलग और इतने बढ़िया रदीफ काफ़िये कहाँ से ले आते हैं आप.बहुत खूब.बहुत बधाई आपको.
Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 20, 2016 at 6:46pm
क्या बात है
बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
9 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service