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कोई राधा हुई दीवानी क्या (ग़ज़ल 'राज' )

2122  1212  22

जिन्दगी की नई कहानी क्या

हर कोई जानता बतानी क्या

 

मौत  के सामने कोई बचपन

या बुढ़ापा भला जवानी क्या

 

होंसलों से उगा शज़र उसको

ख़ास आबो हवा या पानी क्या

 

तिश्नगी इक नदी बुझाती थी

आज सहरा में है निशानी क्या 

 

कृष्ण देखा है आज क्या तुमने

कोई राधा हुई दीवानी क्या

 

फूल अगर हैं वतन के गुलशन के

फिर हरे और जाफ़रानी क्या

 

गर हो नाज़िम ही कान के कच्चे

सामने उन के हकबयानी क्या

 

आईना हू ब-हू दिखाता है   

‘राज’ उसमे है बदगुमानी क्या 

-------मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Samar kabeer on December 5, 2016 at 8:46pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
सातवें शैर में आपने "निज़ामी"का अर्थ शायद वज़ीर लिया है,आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि"निज़ामी" का अर्थ होता है,सिलसिलए निज़ामिया का मुरीद जो कि हज़रत निजामुद्दीन औलिया से मन्सूब है, निज़ामुल मुल्क वज़ीर से मन्सूब,वज़ीर नहीं । देखियेगा ।

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