For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ;उस फ़रिश्ते की प्रतीक्षा है अभी

बह्र : २१२२ २१२२ २१२

प्यार की धुन को बजाता जायगा

राज़  जीवन का सुनाता जायगा |

पल दो पल की जिंदगी होगी यहाँ  

दोस्ती सबसे निभाता जायगा |

बाँटता जाएगा मोहब्बत सदा

दोस्त दुश्मन को बनाता जायगा |

पेट खुद का चाहे हो खाली मगर

खाना भूखों को खिलाता जायगा |

ले धनी का साथ अपनी राह में

मुफलिसों को भी मिलाता जायगा |

छोड़ नफरत द्वेष हिंसा औ घृणा

प्रेम मोहब्बत सिखाता जायगा |

उस फ़रिश्ते की प्रतीक्षा है अभी

स्वर्ग धरती को बनाता जायगा |

 

© कालीपद ‘प्रसाद’

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on December 28, 2016 at 8:56pm
भाई कालीपद प्रसाद जी,बुरा मानने की परम्परा इस मंच पर नहीं,आप निश्चिन्त रहें,और दिल खोलकर अपनी शंकाएं साझा करते रहें,लेकिन इसके साथ ही थोड़ा अध्यन पर ध्यान देने की भी सख़्त ज़रूरत है,ख़ासकर भाषा और व्याकरण के बारे में,क्योंकि सीखना जिसे होता है उसकी बात करने की शैली से पता लग जाता है ।
और हाँ,पहले भी आपसे करबद्ध निवेदन कर चुका हूँ कि कृपया मेरा नाम सही लिखा करें ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 28, 2016 at 7:40pm

आदरणीय समीर कबीर साहिब ,आदाब , मैंने आपसे दुबारा देखने के लिए इसीलिए निवेदान  किया था क्योंकि मुझे अपनी मात्रा गणना ठीक लग रहा था | मैंने मोहब्बत को १२२ के बदले २२२ ले रहा था | कृपया बुरा न माने | अभी तो आप से बहुत कुछ  सीखना  है | 

सादर 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 28, 2016 at 7:34pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी , आप निश्चिन्त रहे ,आ समीर कबीर  साहब तो ग़ज़ल के  बादशाह है  , उनको कोई कैसे अमान्य कर सकते है ,ऐसी हिम्मत मैं तो कभी नहीं कर सकता हूँ | मैं  आ समीर कबीर साहिब ,आ योगराज जी ,आ, सौरभ पाण्डेय जी ,आ मिथिलेश वामन कर जी से प्रश्न करता हूँ अपनी शंका मिटाने के लिये और निवेदन करता हूँ मेरी गलती निकालने के लिए जिससे मेरी रचना दोषमुक्त हो जाय  |

ग़ज़ल को समय देने के लिए शुक्रिया 

सादर 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 28, 2016 at 7:22pm

आदरणीया मिथिलेश वामनकर जी ,बहुत बहुत धन्यवाद आपको विस्तार से बताने के लिए  | मैंने मोहब्बत को २२२ ही लेके मात्र गणना की थी | मुझे पता नहीं था कि ' मो' हमेशा मु  और म की तरह एक मात्रिक माना जायगा | इसीलिए मैंने आ समर कबीर साहिब और आप से निवेदन किया मेरी मात्रा गणना को  एक बार और देख लें | बहुत बहुत शुक्रिया | आशा है आगे भी अनुग्रह बनाए रखेंगे |

सादर |

Comment by Samar kabeer on December 28, 2016 at 2:52pm
जनाब कालीपद प्रसाद जी जनाब मिथिलेश वामनकर साहिब ने आपके सवाल का बहतरीन उदाहरण सहित जवाब दे दिया है,उम्मीद है आप संतुष्ट हो गये होंगे ?
Comment by Mahendra Kumar on December 28, 2016 at 3:26am
आदरणीय कालीपद सर, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। मेरी तरफ से आपको ढेर सारी बधाई। सच कहूँ तो हम सब बहुत ख़ुशकिस्मत हैं जो ओबीओ जैसे मंच पर अपनी रचनाएँ पोस्ट कर पा रहे हैं जहाँ तक़्तीअ (ग़ज़ल के सन्दर्भ में) से लेकर कहन तक के विशेषज्ञ मौजूद हैं। अब देखिए, आदरणीय समर सर ने बह्र की तरफ इशारा किया तो आदरणीय मिथिलेश सर ने तक़्तीअ करके उसे स्पष्ट कर दिया। साथ ही उन्होंने एक बेहतरीन सुझाव भी दिया जिसके बाद आपकी ग़ज़ल और निखर कर आ रही है, 'जाइए' वाला सुझाव। ओबीओ मंच को धन्यवाद सहित आपको पुनः बहुत-बहुत बधाई। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2016 at 12:48am

और हाँ एक निवेदन और- बजाता जायगा / बजाया जायगा को बजाते जाइये भी किया जा सकता है. यथा 

प्यार की इक धुन बजाते जाइए 

राग जीवन का सुनाते जाइए 

बाँटते जाएँ मुहब्बत ही सदा 

दोस्त दुश्मन को बनाते जाइए 

द्वेष हिंसा और नफ़रत छोड़कर

बस मुहब्बत ही सिखाते जाइए 

मुझे लगता है इससे ग़ज़ल निखर आएगी और जाएगा को जायगा करने की बाध्यता भी नहीं रहेगी. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2016 at 12:32am

आदरणीय कालीपद जी, आपकी तक्तीअ में मोहब्बत की मात्रा गणना के कारण दोष आ रहा है. वास्तव में मोहब्बत को इन तीन रूपों में देवनागरी में लिखते हैं-

1. मोहब्बत 

2. मुहब्बत 

3. महब्बत 

अब इन तीन रूपों का उच्चारण देखिये -

1. मो+हब्+बत

2. मु+हब्+बत

3. म+हब्+बत

यहाँ उच्चारण के क्रम में "मो" "मु" या "म" एक मात्रिक या लघु  होता है और 'हब्' तथा "बत" शास्वत दो मात्रिक या गुरु होता है.

इस प्रकार मुहब्बत/मोहब्बत/महब्बत का वज्न 122 होता है. जबकि आप इसे "कालीपद" के समान 222 मान रहें हैं. दोनों मिसरों में "मुहब्बत" की तक्तीअ के कारण ही दिक्कत हुई है. आप दोनों मिसरों में देखिये आपका नाम "कालीपद" प्रतिस्थापित करते ही कैसे बह्र में लगते हैं.-

बाँटता जायेगा कालीपद सदा

प्रेम  कालीपद सिखाता जायगा  

संभवतः मैं अपनी बात स्पष्ट कर सका हूँ. आदरणीय समर कबीर जी जैसे उस्ताद से आपको और मंच को सदैव सही सलाह ही प्राप्त होती है. यदि कोई त्रुटी या मतान्तर होने की स्थिति में वें स्वयं उत्तर भी देते है. बात केवल स्पष्ट करने की थी इसलिए तनिक अपने कहे में स्वतंत्रता ली है. किसी गलती हेतु क्षमा करेंगे ऐसी आशा है. सादर 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 27, 2016 at 10:41pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ,ग़ज़ल को समय देने के लिए तहे दिल शुक्रिया | बजाया जायगा, सुनाया जायगा ,यह साधारण भविष्यत (Idefinite) काल दर्शाता है | बजाता जायगा , यह (continuous future tense ).वह फरिस्ता खुद उस कार्य को  करता हुआ जायगा और पूरा करके जायगा  |इस बात को ध्यान रखकर मैंने लिखा है | 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 27, 2016 at 10:24pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी धन्यवाद आपका , निवेदन है कि आप भी एकबार तकती कर लें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
2 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
2 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
4 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service