For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शराफत रास दुनिया को कहां आती है कहिए भी-ग़ज़ल

1222 1222 1222 1222

वो दिन बेहतर थे जो गुजरे मेरे आवारगी में ही
शराफ़त रास दुनिया को कहाँ आती है कहिये भी

जला डाले सभी सपने ये दुनिया तो सितमगर है
कहाँ पहले कभी बिखरी थी मन पे रात की स्याही

न अब मासूमियत बाक़ी न अब बेफ़िक्री का मौसम
सहर आते थमा देती पिटारी जिम्मेदारी की

न जाने ढूँढता है क्या किधर को जा रहा है मन
भला क्यूँ रास आती ही नहीं दुनिया की ये क्यारी

गज़ब इंसानियत बदली फ़िदा है बस दिखावे पर
नज़र हर आंकती कीमत हुआ हर शख्स व्यापारी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 941

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 7, 2017 at 11:01pm
आदरणीय आरिफ साहब बहुत बहुत आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 7, 2017 at 11:00pm
आदरणीय विजय सर सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 7, 2017 at 11:00pm
आदरणीय गिरिराज सर सादर प्रणाम और हार्दिक बधाई
Comment by Mohammed Arif on January 7, 2017 at 10:53pm
आदरणीय पंकज कुमार मिश्राजी, बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई !
Comment by vijay nikore on January 7, 2017 at 9:49pm

शानदार गज़ल लिखी है आपने। हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 6, 2017 at 1:59pm

आदरणीय पंकज भाई  , बढिया गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीका र करें ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 5, 2017 at 8:40am
आदरणीय महेंद्र जी सादर अभिवादन और आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 5, 2017 at 8:40am
आदरणीय ब्रज साहब शुक्रिया कुबूल फरमाएं
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 5, 2017 at 8:39am
आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 5, 2017 at 8:39am
आदरणीय सुशिल सर सादर अभिवादन और आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
2 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service