भोजन कक्ष में बैठ कर परिवार के सभी सदस्यों ने भोजन करना प्रारंभ किया ही था कि बाहर से एक कुत्ते के रोने की आवाज़ आई। घर की सबसे बुजुर्ग महिला यह आवाज़ सुनते ही चौंकी, उसने सभी सदस्यों की तरफ देखा और फिर चुपचाप भोजन करने लगी।
उसने मुश्किल से दो कौर ही खाये होंगे और कुत्ते के रोने की आवाज़ फिर आई, अब वह बुजुर्ग महिला चिंताग्रस्त स्वर में बोली, "यह कुत्ता क्यों रो रहा है?"
उसके पुत्र ने उत्तर दिया, "चिंता मत करो, होगी कुछ बात।"
"नहीं! यह तो अपशगुन है।" बुजुर्ग महिला ने उसकी बात नकारते हुए कहा
उनकी बातें ध्यान से सुनता हुआ उस महिला के पोते ने मसूमियत से पूछा, "अपशगुन क्या होता है दादी?"
महिला की बहु ने टोका, "कुछ नहीं होता बेटे, आप खाना खाओ।"
कुत्ता रह-रहकर रो ही रहा था।
बुजुर्ग महिला ने चिंतित स्वर में अपने बेटे से कहा, "उसे भगा दे, कहते हैं कुत्ता यमदूत को देख कर रोता है।"
सुनते ही पोते को कोई कहानी याद आई और वह चहकते हुए बोला, "दादी, आप सच कह रही हैं, यमदूत आया होगा।"
सभी आश्चर्य से पोते की तरफ देखने लगे, और उसने कहा,
"यमदूत उस मुर्गे को लेने आया होगा, जिसे हम खा रहे हैं।"
उसके स्वर में अभी भी मासूमियत थी।
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
बच्चे बहुत मासूम होते हैं किन्तु बहुत संवेदनशील भी होते हैं बहुत अच्छी लघु कथा है आद० चंद्रेश कुमार जी बहुत बहुत बधाई .
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