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सरदार भगत सिंह के आत्मा की आवाज

सरदार भगत सिंह के आत्मा की आवाज

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एक दिन कलम ने आके चुपके से मुझसे ये राज खोला ,

कि रात को भगत सिंह ने सपने में  आकर उससे  बोला,



कहाँ  गया वो  मेरा इन्कलाब कहाँ गया वो  बसंती चोला  ?

कहाँ गया मेरा फेंका हुआ,  मेरे बम का वो गोला ?
 

आत्मा ने भगत के  आकर  कहा , ये देख के हम बहुत शर्मिंदा हैं,

कि  देश देखो आज  जल रहा है,और जवान यहाँ  अभी भी जिन्दा हैं ??

 

देख के वो रो पड़ा इस देश की अंधी जवानी ,

क्या हुआ इस देश को जहाँ खून बहा  था जैसे हो पानी ,

 

खो गया लगता जवान आज जैसे शराब में ,

खो गया आदतों में उन्ही , जो आते हैं  खराब में ,

 

कीमतें कितनी चुकाई थी हमने, ये तो सब ही जानते हैं

तो फिर इस देश को हम आज , क्यूँ नही   अपना मानते हैं ?

 

देश के संसद पे आके वो फेंक के बम जाते हैं ,

और खुदगर्जी में हम सब उन्हें  अपना मेहमां बनाते हैं ,



भूल गये हो  क्या नारा तुम अब इन्कलाब का ???

जो पत्थरों  के बदले में भी  थमाते हो फुल तुम गुलाब का ?
 

मानने को मान लेता मानना  गर होता उसे ,

जान लेता हमारे इरादे गर जानना होता उसे ,
 

 आँखों  में आंसू आ गया, देख के  अब ये जमाना ,

 लगता है आज बर्बाद अब , हमको अपना फांसी लगाना ,

 
ऐ  जवां तुम जाग  जाओ तुम्हे देश ये बचाना होगा ,

आज आजाद और भगत बन के तुम्हे ही आगे आना होगा
 

ऐ जवां तुम्हे नहीं  खबर ,कि  जब-जब  चुप हम  हो जाते हैं

देश के दुश्मन हमे तब-तब,  नपुंसक कह- कह कर के  बुलाते हैं

 

उठो और लिख दो आज फिर से, कुछ और कहानियाँ ,

कह दो जिन्दा हैं अभी हम  और  सोयी हैं नही जवानियाँ,

 

गर लगी हो जवानी में, जंग, तो हमसे तुम ये  बताओ ,

या खून में उबाल हो ना ,  तो भी बस हमसे  सुनाओ
 

एक बार फिर से हम इस मिटटी के  लाल बन के आयंगे ,

एक बार इस देश को अपनों के ही  गुलामी से हम बचायेंगे ,

नारा इन्कलाब का हम फिर से आज लगायेंगे ..
 

पर ये सवाल हम आप से फिर भी बार-बार  दुहराएंगे

 कि आखिर कब तक ?? आखिर कब तक ?

इस देश के जवां कमजोर और बुझदिल कहलाते  जायंगे.....

 इसको बचाने खातिर  कब, तक भगत  सिंह और आजाद यहाँ पर आयंगे ???
 

सर्वाधिकार सुरक्षित @राजीव कुमार पाण्डेय ( द्वारा पूर्वप्रकाशित )

contact id :- rajeevkumarpandeypoetry@gmail.com

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