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बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आखिर
२१२/२१२/२१२/२

रहनुमाई की बरसात है क्या।
फिर चुनाओं के हालात हैं क्या।

झुठ भी बोलो अगर तो सही है,
ये सियासत के शहरात है क्या।

शह्र मे आग है फिर पुरानी ,
दंगो से फिर ये हालात है क्या।

चीखें फिर से सुनाई दे कोई,
बहनों के लूटे अस्मात है क्या।

लोग कितने मजे से यहाँ हैं,
शह्र के ये हवालात हैं क्या।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Hemant kumar on March 2, 2017 at 5:19pm
परम आदरणीय शुक्ला जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
सादर....
Comment by Ravi Shukla on March 2, 2017 at 3:37pm

आदरणीय हेमंत जी  शिज्‍जु भाई ने स्‍प्‍ष्‍ट कर दिया है काफिया बहुवचन में होने के कारण हैं सही शब्‍द होगा रदीफ का । हमारे कहने का आशय यही है । सादर

Comment by Hemant kumar on March 1, 2017 at 1:02pm
परम आदरणीय शिज्जु शकूर जी इस तरह समझाने के लिए दिली शुक्रिया कबुल करें।कृपया-
हालात ,अस्मात,शहरात शब्दों पर भी प्रकाश डालें ताकि मै इन शब्दो को बदल या सुधार सकूँ और बेहतर ग़ज़ल हो सके।
सादर.....

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Comment by शिज्जु "शकूर" on March 1, 2017 at 11:09am

आ. हेमंत कुमार जी प्रयास अच्छा है शेष आ. रवि शुक्ल जी ने बता ही दिया है। उनके कहने का आशय यह है कि आपकी ग़ज़ल में ज्यादातर काफिए बहुवचन में हैं इसलिए रदीफ में है को हैं से प्रतिस्थापित कर दुबारा ग़ज़ल कही जाए तो ग़ज़ल बेहतर हो जाएगी क्योंकि है।

Comment by Hemant kumar on February 28, 2017 at 8:16pm
परम वन्दनीय श्री शुक्ला जी आपने मुझ जैसे नवजात के लिए समय निकाला ये मेरे लिए परम सौभाग्य से कम नही !
मुझे आपने जो सुझाव दिया है, अर्थ ग्रहण मे कठिनाई हो रही है-
रहनुमाई की बरसात है (को-हैं करने से है क्या)क्या
हमारे भाटापारा छत्तीसगढ़ मे बस स्टेंड में एक पंक्चर वाले भैया की दुकान है और वो मुसलमान है (बिहार से), मैने उनसे ही शहरात, हालात,अस्मात ,हवालात जैसे शब्दों के अर्थ पूछ लिए थे।सादर....
क्या आपका सारगर्भित अर्थ यह था कि रदीफ मे है को सुधारकर हैं कर लिया जाय या इसका कोई अन्य मतलब था ।
एक बार पुनः प्रकाश डालें ये अमृत वर्षा से कम नही होगी! और मै जी उठूंगा.....
Comment by Ravi Shukla on February 28, 2017 at 10:56am

आदरणीय हेमंत जी गजल कहने का अच्‍छा प्रयास हुआ है इसके लिये दिली बधाई हाजिर है

रहनुमाई की बरसात है क्या।
फिर चुनाओं के हालात हैं क्या। इस मिसरे में चुनावों शब्‍द के अनुसार  हालात ( बहुवचन है और ) हैं क्‍या  होगा और आपका रदीफ बदल जाएगा एक वचन और बहुवचन का ध्‍यान रखना होगा

झुठ भी बोलो अगर तो सही है,
ये सियासत के शहरात है क्या। शहरात का अर्थ नहीं समझ पाएं हम यहा भी बहुवचन होने से हैं क्‍या होगा रदीफ बदल जाएगा

शह्र मे आग है फिर पुरानी ,
दंगो से फिर ये हालात है क्या। हालात हैं क्‍या  रदीफ बदल गया

चीखें फिर से सुनाई दे कोई,
बहनों के लूटे अस्मात है क्या। अस्‍मात लफ्ज पर संशय है हो सकता है आप सही हैं हमने इस रूप में कभी नहीं पढ़ा

लोग कितने मजे से यहाँ हैं,
शह्र के ये हवालात हैं क्या।

रदीफ में हैं क्‍या अधिकतर मिसरों में है इसलिये मतले के उला मिसरे में आप रदीफ को हैं क्‍या कर के इसको सुधार सकते है । बाकी शुभ शुभ । सादर

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