For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल----(कब वो मेरे दिल से निकला था)

ग़ज़ल
---------
(फअल-फऊलन-फेलुन-फेलुन )

सिर्फ़ वो महफ़िल से निकला था |
कब वो मेरे दिल से निकला था |

दिलबर के दीदार का मंज़र
चश्म से मुश्किल से निकला था |

रास्ता मेरी मंज़िल का भी
उनकी ही मंज़िल से निकला था |

जिसने बचाया बद नज़रों से
वो जादू तिल से निकला था |

हरफे निदा जो बना अदावत
ज़ह्ने मुक़ाबिल से निकला था |

आ ही गया वो फिर मक़्तल में
बच के जो क़ातिल से निकला था |

मेरी तरफ तस्दीक़ न देखो
साँप किसी बिल से निकला था |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 737

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 18, 2017 at 7:46pm
मुहतरम जनाब लक्ष्मण धामी साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 18, 2017 at 7:45pm
मुहतरम जनाब विजय साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2017 at 11:18am

आ. तस्दीक अहमद जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद I

Comment by vijay nikore on May 16, 2017 at 1:41pm

गज़ल बहुत अच्छी लगी। हार्दिक बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 15, 2017 at 9:57pm

जनाब सत्विन्द्र कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला
अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 6:06pm
वाह्ह्ह् हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद जी,उम्दा गजल कही आपने!
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 15, 2017 at 4:32pm
मुहतरम गिरिराज साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2017 at 10:47am

आदरणीय तस्दीक भाई  , अच्छी गाल कही है .. बधाइयाँ प्रेषित कर रहा हूँ .. स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 14, 2017 at 8:13pm
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 14, 2017 at 8:12pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया,महरबानी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service