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गाँधीवादी गुण्डों ने ही लूट लिया गाँधी का देश

जात पात मजहब पंथों में फूट लिया गाँधी का देश॥

 

रघुपति राघव राजाराम मंदिर के कारण बदनाम,

ईश्वर या अल्लाह का नाम अब करवाता कत्ले-आम।

सत्य प्रेम की पगडंडी से छूट लिया गाँधी का देश॥

 

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई बन बैठे हैं आज कसाई,

चंगुल में हैवानों के मानवता बकरी सी आयी।

कर हलाल हैं रहे हाय! अब टूट लिया गाँधी का देश ।।

 

गाँधी जी का धर्म अहिंसा, इनका है हथकण्डा,

गाँधी जी की टेक थी लाठी, इनके हाथ में डण्डा।

काले कानूनी मूसल से, कूट लिया गाँधी का देशा।।

 

राष्ट्रपिता बापू की ही हैं, यह शोषक शासक संतान,

बात भले ये भूले से भी, भारत माँ कैसे ले मान।

नकली इन गाँधी पुत्रों से , रूठ लिया गाँधी का देश।।

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Comment

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प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 4, 2011 at 11:55am
आपकी इस कविता की एक एक पंक्ति कड़वा सच कह रही है आचार्य जी, इस सारगर्भित रचना के लिए साधुवाद स्वीकार करें !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2011 at 9:45pm

गाँधीवादी गुण्डों ने ही लूट लिया गाँधी का देश

जात पात मजहब पंथों में फूट लिया गाँधी का देश॥

 

बहुत खूब जनाब, बेहतरीन भाव है और उतना ही उम्द्दा प्रस्तुति , बिलकुल अलग अंदाज है , 

 

गाँधी जी की टेक थी लाठी, इनके हाथ में डण्डा।

काले कानूनी मूसल से, कूट लिया गाँधी का देशा।।

क्या बात है , लाठी , डंडा और मुसल का मेल , जरुर कुछ न कुछ हुआ है खेल , बहुत ही सुंदर रचना जनाब , बधाई स्वीकार करे |

कृपया ध्यान दे...

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