For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँधीवादी गुण्डों ने ही लूट लिया गाँधी का देश

जात पात मजहब पंथों में फूट लिया गाँधी का देश॥

 

रघुपति राघव राजाराम मंदिर के कारण बदनाम,

ईश्वर या अल्लाह का नाम अब करवाता कत्ले-आम।

सत्य प्रेम की पगडंडी से छूट लिया गाँधी का देश॥

 

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई बन बैठे हैं आज कसाई,

चंगुल में हैवानों के मानवता बकरी सी आयी।

कर हलाल हैं रहे हाय! अब टूट लिया गाँधी का देश ।।

 

गाँधी जी का धर्म अहिंसा, इनका है हथकण्डा,

गाँधी जी की टेक थी लाठी, इनके हाथ में डण्डा।

काले कानूनी मूसल से, कूट लिया गाँधी का देशा।।

 

राष्ट्रपिता बापू की ही हैं, यह शोषक शासक संतान,

बात भले ये भूले से भी, भारत माँ कैसे ले मान।

नकली इन गाँधी पुत्रों से , रूठ लिया गाँधी का देश।।

Views: 333

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 4, 2011 at 11:55am
आपकी इस कविता की एक एक पंक्ति कड़वा सच कह रही है आचार्य जी, इस सारगर्भित रचना के लिए साधुवाद स्वीकार करें !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2011 at 9:45pm

गाँधीवादी गुण्डों ने ही लूट लिया गाँधी का देश

जात पात मजहब पंथों में फूट लिया गाँधी का देश॥

 

बहुत खूब जनाब, बेहतरीन भाव है और उतना ही उम्द्दा प्रस्तुति , बिलकुल अलग अंदाज है , 

 

गाँधी जी की टेक थी लाठी, इनके हाथ में डण्डा।

काले कानूनी मूसल से, कूट लिया गाँधी का देशा।।

क्या बात है , लाठी , डंडा और मुसल का मेल , जरुर कुछ न कुछ हुआ है खेल , बहुत ही सुंदर रचना जनाब , बधाई स्वीकार करे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shabla Arora updated their profile
2 hours ago
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय। परिवर्तित मतला और शेर भी बहुत प्रभावी बन पड़ा है। मंच को लाभान्वित करने…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service