For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या दिन थे आनन्द भरे वे, हरपल रहता था उल्लास|
आगे जीवन ऊबड़ खाबड़, तनिक न था इसका आभास||
बीबी बच्चों के चक्कर में, स्वप्न हुए अब तो इतिहास|
आफत आन पड़ी है मुझपर, दोस्त उड़ाते हैं उपहास||

कभी उड़ा था नील गगन में, मैं भी अपने पंख पसार|
पंख लगाकर समय उड़ा वो, हुआ बिना पर मैं लाचार||
जीवन अपना शुष्क धरा सा, मस्ती का उजड़ा संसार|
ऐसा चिर पतझड़ आएगा, कभी नहीं था किया विचार||

जाने कौन घड़ी थी वो भी, जब शादी का किया ख़याल|
किस्मत ऐसी फूटी भइया, भूल गया खुद का सब हाल||
जीवन अपना नरक हुआ अब, बात बात पर मचे बवाल|
हाय! नतीजा है ये अब तो, सर पर नहीं एक भी बाल||

बिल्ली सी आवाज हुई अब, करूँ न घर में कोई शोर|
वफादार बन श्वान सरीखा, घूमूँ उनके चारो ओर||
बाहर का मैं शेर भले पर, घर मे बकरी सा कमजोर|
फिर भी जग वालो से बोलू, अजी! मोरनी वह मैं मोर||

लाख करूँ मैं कोशिश फिर भी, सभी कोशिशें हो बेकार|
हथ गोले बम बर्षक बनते, भरे शेरनी जब हुंकार||
घर के अंदर बर्तन बाजे, बाहर आती है झनकार|
देख लड़ाई बच्चे बिलखें, निकल पड़े असुवन की धार||

अगर करू मैं अपने दिल की, घर में आ जाये भूचाल|
सज धज कर मैं बाहर जाऊँ, ऐसी अपनी नहीं मजाल||
देर करूँ गर घर आने में, शक्की बीबी करे सवाल|
लंबे बाल दिखें कपड़ों पर, फिर तो आया मेरा काल||

दिखा घरेलू हिंसा का डर, दे वो धमकी बारम्बार|
संसद भी अब देती केवल, नारी को ही सब अधिकार||
नर का दर्द न समझे कोई, नहीं लिखे कोई अखबार|
हर घर की हैं यहीं कहानी, हर घर की है वो सरकार||

कहाँ तलक मैं विपदा गाऊँ, नैया फँसी बीच मझधार|
माया रूपी यह दलदल है, यहाँ न कोई तारण हार ||
लगता है अब मुझे उम्र भर, रहना होगा मन को मार|
हुआ भोर तो टूटा पल में, सपना था कितना बेकार ||

(आल्हा छंद पर आधारित)

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 903

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on September 29, 2017 at 5:18pm
आद0 आशुतोष जी सादर अभिवादन, आपके बधाइयों के लिए हृदय से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on September 29, 2017 at 5:17pm
आद0 आशुतोष जी सादर अभिवादन, आपके बधाइयों के लिए हृदय से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on September 29, 2017 at 5:17pm
आद0 आशुतोष जी सादर अभिवादन, आपके बधाइयों के लिए हृदय से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on September 29, 2017 at 5:16pm
आद0 आशुतोष जी सादर अभिवादन, आपके बधाइयों के लिए हृदय से आभार
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 28, 2017 at 7:44pm
आदरणीय भाई सुरेन्द्र जी हर आदमी की दुखती राग पर हाथ रख दिया आपने वो भी इस शानदार तरीके से ढेर सारी बधाई आपको सादर
Comment by नाथ सोनांचली on September 28, 2017 at 6:43pm
आद0 तस्दीक अहमद खान जी उत्साहवर्धन के लिए आभार
Comment by नाथ सोनांचली on September 28, 2017 at 6:41pm
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन, आभार
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 28, 2017 at 6:14pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,आल्हा छन्द पर आधारित सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 28, 2017 at 9:28am
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , सुन्दर हास्य , बधाई , सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on September 27, 2017 at 9:44pm
आद0 महेंद्र जी रचना पसन्द करने के लिए हृदय तल से आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"लोग समझते शांति की, ये रचता बुनियाद।लेकिन बचती राख ही, सदा युद्ध के बाद।८।.....वाह ! यही सच्चाई है.…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service