मफऊल -फ़ाइलात -मफाईल -फाइलुन
दिल में चरागे इश्क़ तो पहले जलाइए |
नफ़रत मिटा के दीपावली फिर मनाइए |
तहवार भाई चारे का अहले वतन है यह
लग कर गले से रस्मे महब्बत निभाइए|
होने लगीं हवाएँ भी ज़हरीली दोस्तों
आतिश फशाँ पटाखे न घर में चलाइए |
करवा के बंद हर तरफ होता हुआ जुआ
रुसवाइयों से दीपावली को बचाइए |
फरहत ही जिस ग़रीब की मंहगाई खा गई
कैसे मनाए दीपावली वो बताइए |
दीपावली की दुगनी खुशी पाना है अगर
रूठे हुए पड़ोसी को जा कर मनाइए |
बच्चों के साथ कोई हो जाए न हादसा
घर अपने सिर्फ़ फुलझड़ी तस्दीक़ लाइए |
आतिश फशाँ ---आग उगलने वाले
तहवार--पर्व , फरहत ----खुशी
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
जनाब आशुतोष साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
आपका अंदाज़ा सही है के में ए और पा में अ को गिराया गया है , अब आप इसी तरह गिराकर
पढ़ें ------सादर
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