For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-कभी दुख कभी सुख, दुआ चाहता हूँ (संशोधित )

तरही ग़ज़ल  अल्लामा इकबाल जी का  मिसरा 

“ तेरे इश्क की इम्तिहाँ चाहता हूँ “

काफिया : आ ; रदीफ़ :चाहता हूँ

बहर : १२२  १२२  १२२  १२२

*****************************

कभी दुख कभी सुख, दुआ चाहता हूँ

इनायत तेरी आजमा चाहता हूँ |

'वफ़ाओं के बदले वफ़ा चाहता हूँ
तेरे इश्क की इम्तिहा चाहता हूँ |

जो’ भी कोशिशे की हुई सब विफल अब

हूँ’ बेघर मैं’ अब आसरा चाहता हूँ |

ज़माना हमेशा छकाया मुझे है

अभी मैं उसे जीतना चाहता हूँ |

'दिये हैं बहुत दुख ज़माने ने मुझको'

मैं’ तेरी कृपा की दवा चाहता हूँ |

तू’ ने क्यों बनाया यही विश्व ब्रह्माण्ड

छुपे राज़ को जानना चाहता हूँ |

निरपराध जो है, उसे क्यों सज़ा हो

बता अब तेरा फैसला चाहता हूँ |

'रिवाज आदमी ने सभी हैं बनाए'

अहितकर सभी तोड़ना चाहता हूँ |

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 1, 2017 at 9:08pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब, "बेवफाई " शब्द है ,तो मुझे लगा वफाई भी होगी " शब्दकोष देखा उसमे नहीं था | आपसे सुनिश्चित करने के लिए ही मैंने इसको लिखा | अब मालुम हो गया | विस्तृत विश्लेषण के लिए हार्दिक आभार आपका | संशोधन कर फिर प्रस्तुत करता हूँ | सदर आदाब 

Comment by Samar kabeer on November 1, 2017 at 5:53pm
जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
ग़ज़ल अभी और समय चाहती है :-
'वफ़ाई के,बदले वफ़ा मांगता हूँ'
'वफ़ाई'क्या शब्द है भाई?और 'मांगता हूं'यहाँ रदीफ़ बदल गई, और क़ाफ़िया नदारद ?और सानी मिसरे में 'इन्तिहाँ'नहीं "इन्तिहा"इस मतले को यूँ कर सकते हैं :-
'वफ़ाओं के बदले वफ़ा चाहता हूँ
"तेरे इश्क़ की इन्तिहा चाहता हूँ"'
'किया यत्न हमने सकल वियर्थ है अब'
ये मिसरा लय में नहीं है, और शुतरगुर्बा का दोष भी है,
किया यत्न/122मात्रा पतन
हमने स/221
कल व्यर्थ/212
है अब/22
"अभी मैं छकाना उसे चाहता हूँ'
इस मिसरे में क़ाफ़िया नदारद है ।
'दिया ज़ख़्म मुझको ज़माना बहुत है'
इस मिसरे में व्याकरण दोष,और ऐब-ए-तनाफ़ुर भी है, इसे यूँ कर सकते हैं:-
'दिये हैं बहुत दुख ज़माने ने मुझको'
"छुपा राज़ को जानना चाहता हूँ'
"छुपे राज़ को जानना चाहता हूँ"
'निरपराध जी हैं उसे क्यों सज़ा हो'
इस मिसरे में 'हैं' को "है" कर लें ।
'रिवाजें बनाये सभी आदमी ने'
इस मिसरे में 'रिवाजें'शब्द ग़लत है,इसे यूँ कीजिये:-
'रिवाज आदमी ने सभी हैं बनाए'
बाक़ी शुभ शुभ
Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 1, 2017 at 7:19am

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी  कमियों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए धन्यवाद | अभी बह्र में है | सादर नमन 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 31, 2017 at 7:17pm
अभी मैं उसीको छकाना चाहता हूँ ये बह्र में नहीं लगा।।देखिएगा
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 31, 2017 at 7:12pm
आदरणीय काली प्रसाद जी ग़ज़ल अच्छी लगी इम्तिहाँ के साथ बाकी काफिये में आ थोडा दुबिधा नें हूँ गुनी जनों की राय से स्पष्ट हो सकेगा रचना पर हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service