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आ० ब्रज जी , हिदी में १६,१४ जिसका अंत २२ से हो ककुभ छंद कहलाता है . आप आद्यांत २२२२२ क्यों निभा रहे हैं . यह तो उर्दू शायरी की बहरे मीर है . तो क्या आप गजल के मीटर पर हिन्दी गीत लिख रहे हैं . हिन्दी का मात्रा तनिक हटकर है . मैं कुछ उदाहरण देता हूँ -
कूक उठी [ २१ १२] और करेजे हूक़ उठी [२१ १२२ २१ १२] किसी शब्द का अंत हृस्व हो और फिर अनुवर्ती शब्द का प्रथम वर्ण हृस्व हो तो उर्दू शायरी में उसे दीर्घ मान लेते हैं , हालाँकि वहां भी इसे अच्छा नही माना जाता. हिन्दी में यह छूट बिलकुल नहीं है . अतः आप यदि हिन्दी गीत लिख रहे हैं तो ककुभ छंद में लिखे . इसमें दो राय नही कि आपके भाव सराहनीय है . गीत बहुत अच्छा है . और यदि आप extra effort डालना ही चाहते है तो थोड़ी मेहनत और करे तथा मात्रिक व्यवहार हिन्दी के अनुसार करें . सादर .
गीत सुन्दर है, भाव प्रभावशाली हैं। हार्दिक बधाई।
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