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ग़ज़ल (आने वाला कोई फिर दौरे परेशानी है )

(फाइलातुन -फइलातुन -फइलातुन -फेलुन )

आने वाला कोई फिर दौरे परेशानी है |
यक बयक करने लगा कोई महरबानी है |

देखता है जो उन्हें कहता है वो सिर्फ़ यही
इस ज़माने में नहीं उनका कोई सानी है |

आएगा सामने उसका भी नतीजा जल्दी
वक़्त के हुक्मरा की तू ने जो मनमानी है |

ख़त्म हो जाएगी हर चीज़ ही क्या है दुनिया
सिर्फ़ उल्फ़त ही वो शै है जो नहीं फानी है |

आ गया जब से मुझे उनका तसव्वुर करना
हो गई तब से मुलाक़ात में आसानी है |

रंज मिटते ही भुला देता है अपने रब को
फितरते ख़ास तो यह दोस्तों इंसानी है |

उनका किरदार है तस्दीक़ फरिश्तों जैसा
यूँ ही दुनिया नहीं उनकी हुई दीवानी है |

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 9, 2017 at 12:42pm
जनाब सलीम साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Afroz 'sahr' on November 9, 2017 at 11:35am
जनाब तस्दीक़ साहिब बहुत अच्छी ग़ज़ल है इसके लिए बहुत बहुत बघाई आपको,,,
Comment by TEJ VEER SINGH on November 9, 2017 at 11:13am

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन गज़ल।

आएगा सामने उसका भी नतीजा जल्दी 
वक़्त के हुक्मरा की तू ने जो मनमानी है |

Comment by SALIM RAZA REWA on November 9, 2017 at 9:50am
वाह साहब वाह.. ग़ज़ल का हर इक शेर के लिए मुबारक़बाद,
उनका किरदार है तस्दीक़ फरिश्तों जैसा
यूँ ही दुनिया नहीं उनकी हुई दीवानी है, वाह........

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