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ओ साहब!!!
क्या तुम आधुनिक लोकतंत्र को
लूटने वाले नेता हो!
या रईसी के दम पर बिकने वाले
अभिनेता हो!
क्या तुम वास्तविकता से अंजान
बड़े पद पर बैठे अधिकारी हो!
या मानवता की दलाली करने वाले
शिकारी हो!
क्या तुम भ्रष्टाचार में सिंके हुए
गुर्दे हो!
या विधानालय में वास करने वाले
मुर्दे हो!
तुम जो भी हो !!
मेरा प्रश्न है कि
अपनी बेटी की आबरू लूटने वाले के प्रति
तुम क्या सोचते?
तुम मौन हो!
पर मुझे मालूम है
तुम उस वहशी के
अनगिनत टुकड़े करते,
फिर आज बेटियों की
अस्मत के हत्यारे,
देश में,
स्वतंत्र क्यों घूम रहे हैं!
क्या तुम्हारी आत्मा तुम्हें,
इसलिए नहीं धिक्कारती
कि उस आबरू लुटी बेटी को,
तुमने पैदा नहीं किया है!!

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Manoj kumar shrivastava on November 25, 2017 at 9:29pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी आपका सादर आभार, आपका स्नेह बना रहे।

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 25, 2017 at 4:39pm

 मनोज जी होश जगाती सुन्दर रचना काश लोग जागें और ये बुराई भागे। ....भ्रमर ५  

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 23, 2017 at 9:48pm

आरणीय विजय जी कोटिशः आभार स्वीकार करें

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 23, 2017 at 9:47pm

आदरणीय समर कबीर जी आपका कोटिशः आभार, आपका स्नेह इसी तरह बना रहे, यही कामना करता हूं।

Comment by vijay nikore on November 23, 2017 at 8:06pm

सामयिक विषय पर सुन्दर कथन । हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on November 23, 2017 at 5:21pm
जनाब मनोज कुमार जी आदाब,बहुत गम्भीर और भावुक करने वाली कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
चौथी पंक्ति में 'रहीसी'ग़लत शब्द है सही शब्द है "रईसी"दुरुस्त कर लें ।
Comment by Manoj kumar shrivastava on November 23, 2017 at 3:55pm
आदरणीय आरिफ जी आपका कोटिशः आभार। जी विडम्बना यही है कि इस समस्या को गम्भीरता से नही लिया जा रहा है।
Comment by Mohammed Arif on November 23, 2017 at 1:24pm
जनाब मनोज कुमार जी आदाब,
आपको यह विदित होगा कि बेटियों की गरिमा-गौरव और अस्मिता को बचाने का शंखनाद जिन प्रदेशों से हुआ है वहीं बेटियाँ सुरक्षित नहीं है जनाब । उन दुष्ट हमारी कमीनों को कौन समझाएँ जो रात-दिन "बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ " का नारा बुलंद कर रहे हैं । केवल नारों से बेटियाँ सुरक्षित नहीं हो जाएगी । निर्भया कांड के दोषियों को कब फाँसी पर लटकाया जाएगा ?

हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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