ठिठुरी अम्मा
धूप तो लाजवंती
दुपहरी में ।
कच्ची सी उम्र
नौकरी खँगालता
खाली है झोली
मान न मान
जिंदगी के दो रंग
जीना मरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुशील सरना जी, उत्साहवर्धन के लिए बहुत धन्यवाद ।
आदरणीय विजय जी, उत्साहवर्धन के लिए बहुत धन्यवाद ।
आदरणीय समर कबीर जी, उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार ।
हाइकू अच्छे लगे। बधाई, आदरणीया नीलम जी।
मोहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,बढ़िया हाइकू, बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी, उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार ।
बहुत ही सुंदर और सामयिक हाइकु । हार्दिक बधाई आदरणीया नीलम उपाध्याय जी ।
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