सरदी की पहली बारिश- - - -
सरदी की पहली बारिश में
पेड़ इस तरह नहाएँ
जैसे कोई औघड़ नहाकर
गंगा से चला आए |
सरदी की पहली बारिश- - - -
धूल में साधनारत कब से
बैठा था तपस्वी !
साँसों में गरल लेकर
अमृत कलश लुटाए |
सरदी की पहली बारिश- - - -
पत्तों से यूँ गिरता पानी
ज्यों शिव की जटाएँ
पीकर गगन का अमृत
ये धरती मुस्कुराए |
सरदी की पहली बारिश- - - -
सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित)
रचना तिथि-12/12/17
Comment
आद0 सोमेश जी सादर अभिवादन। बढ़िया प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें।सादर
स्नेहाशीष के लिए शुक्रिया आ Sameer Kabir ji evm Kalipad prsad mandal ji ,कृपया जहाँ जरूरत हो मार्गदर्शन भी दें |
जनाब सोमेश कुमार जी आदाब,अच्छी कविता लिखी,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आ सोमेश कुमार जी सुन्दर कविता के लिए बधाई आपको |
हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया भाई Mohammed Arif जी
आदरणीय सोमेश जी आदाब,
बिल्कुल नये प्रतीकों से सुसज्जित लाजवाब कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
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