For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महामूर्ख  -  लघुकथा  –

महामूर्ख  -  लघुकथा  –

"दुर्योधन, तुम इस विश्व के सबसे बड़े मूर्ख हो, महामूर्ख"।

"माते, आप यह कैसी भाषा बोल रही हैं? मैं तो सदैव ही आपका सबसे प्रिय पुत्र रहा हूँ"।

"मगर आज तुमने अपने आप को  महामूर्ख प्रमाणित कर दिया"।

"माँ, आप इस साम्राज्य की महारानी हैं।मैं आपका अपमान नहीं करना चाहता , लेकिन आपकी यह कटु वाणी मेरी सहनशीलता को धैर्यहीन बना रही है"।

"दुर्योधन, तुमने अपनी माँ के आदेश की अवज्ञा करके अपनी मृत्यु को स्वंय दावत दी है"।

"मैंने जो कुछ भी किया है, आपकी आज्ञानुसार ही किया है"।

गाँधारी ने रुआंसे स्वर में भर्राये गले से दुर्योधन को उसकी भयंकर भूल का स्मरण कराया,"पुत्र, मैंने तुम्हें निर्वस्त्र होकर अर्थात संपूर्ण शरीर से जन्मजात नंगा होकर आने को कहा था। जिससे कि मेरे आँखों से पट्टी हटाते ही तुम्हारा संपूर्ण तन वज्र का हो जाता, फ़िर तुम्हें कोई भी, किसी भी अस्त्र शस्त्र से नहीं मार पाता"।

"परंतु यह तो केवल केले के पत्ते हैं। वस्त्र तो नहीं"।

"वत्स, मेरी दृष्टि तो केले के पत्तों से भी बाधित हो गयी ना"।

"ओह माँ, वह छलिया कृष्ण, फिर छल कर गया | उसने कहा था कि माँ के सम्मुख इस आयु में निर्वस्त्र जाओगे, लज्जा नहीं आयेगी। गोपनीय अंगों पर वस्त्र के स्थान पर छाल या पत्ते भी तो प्रयोग कर सकते हो। माँ की बात भी रह जायेगी और तुम्हारी इज्जत भी बनी रहेगी"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on March 13, 2018 at 4:08pm

हार्दिक आभार अदरणीय नीता जी।

Comment by Nita Kasar on March 10, 2018 at 8:18pm

धार्मिक ग्रंथों के बारे में कुछ क्छ सब को मालूम रहती है पर उनको कल्पना शक्ति के आधार पर कथा का तानाबाना बुनना कठिन व रोचक कार्य है ।आपने सुंदर प्रयास किया है ।बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 10, 2018 at 5:53pm

हार्दिक आभार आदर्णीय शेख उस्मानी साहब जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 9, 2018 at 6:11pm

मेरे विचार से धार्मिक ग्रंथों, महाकाव्यों, वेदों और ऐतिहासिक पुस्तकों के ऐसे पन्नों व प्रसंगों को लोकप्रिय होती साहित्यिक विधा लघुकथा में  विचारोत्तेजक संदेश वाहक रचना में शाब्दिक करना/ रिसाइक्लिंग/पुनर्प्रस्तुतिकरण समय की  महत्त्वपूर्ण मांग है लेखक अपनी मौलिक शैली में। मान्यता मिलनी चाहिए। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। 

Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:33pm

हार्दिक आभार आदरणीय सोमेश जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:32pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब। क्षमा चाहता हूँ, आपको निराश किया।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय निलेश जी।आपकी सलाह उचित है।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:29pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:28pm

हार्दिक आभार आदरणीय सलीम रज़ा साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:27pm

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला आसिफ़ जी।आपकी टिप्पणी से सहमत हूं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं समस्त ओबीओ परिवार को। प्रयासरत हैं लेखन और सहभागिता हेतु।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

नवगीत : सूर्य के दस्तक लगाना // सौरभ

सूर्य के दस्तक लगाना देखना सोया हुआ है व्यक्त होने की जगह क्यों शब्द लुंठित जिस समय जग अर्थ ’नव’…See More
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
Monday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday

© 2026   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service