अपाहिज - लघुकथा –
"अरे चन्दू भैया, यह क्या कर रहे हो? आपको देखकर तो हमको भी शर्म आ रहा है"?
"अब तू ही बता, शंकर, हम क्या करें?, इंजीनियरिंग की डिग्री लिये बैठे हैं। तीन साल हो गये, नौकरी खोजते खोजते। इंटर्व्यू में जाने के लिये भी पैसा नहीं है। उधारी भी अब कोई नहीं देता। माँ बापू से मांगने में भी शर्म लगता है"।
"चन्दू भैया, ऐसे भीख माँगने से कितना दिन तक गुजारा होगा"?
"आठ दस दिन में जो पैसा इकट्ठा होता है, उससे दो चार जगह इंटर्व्यू दे आते हैं। तू बता, कितने समय बाद दिखा, तेरा क्या हाल है"?
"अब क्या बतायें भैया, हम भी तो आपके साथ ही बी० ई० किये थे। एक प्राइवेट कंपनी में गये थे इंटर्व्यू देने। प्लेट्फ़ार्म पर केले के छिलके पर पैर फिसल गया। रेलगाड़ी के नीचे आगये। दोनों हाथ गँवा बैठे। मर ही जाते तो ठीक होता”|
“किसी ने बताया था तेरे बारे में, बहुत दुख हुआ| रेलवे से मोटा मुआवज़ा वसूल करना चाहिये था”?
“दो साल से मामला अदालत में अटका पड़ा है”।
"रेल मंत्री को लिखो, विकलांग कोटे में रेलवे में नौकरी देने के लिये"।
"वही तो किये थे, वह ससुरा तो उल्टा हम पर ही आत्महत्या की कोशिश का केस दायर करवा दिया है"।
“तब पी एम को भी लिख डालो”?
"वह भी करके देख लिया, अभी तक कोई जवाब नहीं आया"?
“सब एक ही थैले के चट्टे बट्टे हैं| यह सब पैकिट किस चीज के लिये घूमते फिरते हो”?
“एक कोरियर कंपनी में डाक बांटने का काम कर रहे हैं। गुजर बसर हो रही है"।
"यार समझ नहीं आ रहा, जिस देश में इंजीनियरिंग करने के बाद भी भीख माँग कर या कोरियर में डाक बांट कर गुजारा करना पड़े, उस देश का भविष्य क्या होगा"?
"वह भी एक दिन हमारी तरह अपाहिज हो जायेगा"।
"लगता है कि वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं है"।
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आद0 तेजवीर जी सादर अभिवादन। बढिया मार्मिक लघुकथा, पंच भी बढिया कसा आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये
मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब , बहुत ही जज़्बाती और सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमाएं।
अच्छी लघु कथा के लिए बधाई।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,
श्रेष्ठ लघुकथा । अच्छा कटाक्ष है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
देश की अंदरूनी हक़ीक़तों पर बढ़िया कटाक्ष। नकारात्मक अंत भले है लेकिन सोचने व चिंतन-मनन के लिए ज़रूरी है। हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
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