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शिक्षा - लघुकथा –

शिक्षा - लघुकथा –

 "माँ, मैं भी होली खेलने जाऊं क्या? बस्ती के सब बच्चे होली खेल रहे हैं"।

"नहीं रेशमा,नहीं मेरी बच्ची, तेरे पास फ़टे पुराने कपड़े तो हैं नहीं। मुश्किल से एक जोड़ी तो कपड़े हैं, उन्हें भी होली में खराब कर लेगी तो कल से स्कूल कैसे जायेगी"?

"माँ, यह कैसा मज़ाक़ है, दिवाली पर कहती हो कि तुम्हारे पास नये कपड़े नहीं हैं इसलिये घर से मत निकलो। और होली पर कहती हो तुम्हारे पास पुराने कपड़े नहीं हैं,  सो होली मत खेलो"?

"क्या करें मेरी बच्ची, ऊपरवाले ने हम गरीबों के नसीब में त्यौहार मनाना लिखा ही नहीं है"?

"तो क्या माँ सचमुच ही हम जीवन में कभी कोई त्यौहार नहीं मना पायेंगे"?

"बिटिया, हमारी तो जैसे तैसे कट गयी। यदि तुम अपने जीवन में त्यौहारों का आनंद लेना चाहती हो तो बस एक ही रास्ता है"।

 "जल्दी बताओ माँ, कौनसा रास्ता है।मैं दौड़कर पार कर लूंगी"।

"नहीं मेरी बिटिया, यह रास्ता दौड़कर तय नहीं होता है।इसे तो लगन और मेहनत से ही पार किया जा सकता है"।

"तो बताओ ना माँ, वह कौनसा रास्ता है"।

"बिटिया रेशमा वह रास्ता है, पढ़ाई, लिखाई और शिक्षा का रास्ता"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:24pm

हार्दिक आभार आदरणीय ब्रजेश कुमार ब्रज जी

Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:23pm

हार्दिक आभार आदरणीय सोमेश कुमार जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 8, 2018 at 7:09pm

वाह..उत्तम सन्देश देती हुई रचना..बधाई

Comment by somesh kumar on March 8, 2018 at 4:39pm

SNDESHPRK ACHCHI LGHUKTHA

Comment by TEJ VEER SINGH on March 7, 2018 at 5:55pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 7, 2018 at 1:40pm

जनाब तेजवीर साहिब ,बहुत ही सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 7, 2018 at 12:46pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 7, 2018 at 12:45pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।आपकी बेबाक़ टिप्पणी मेरी हौसला अफ़ज़ाई का सबब बन जाती है।सादर।

Comment by Samar kabeer on March 7, 2018 at 11:53am

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 6, 2018 at 5:48pm

सहज मार्मिक और  विचारोत्तेजक वार्तालाप में समर्पित समझदार मां का समुचित मार्गदर्शन और शिक्षा सम्प्रेषित करती बेहतरीन रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब तेज वीर सिंह साहिब। आपकी एक और स्वाभाविक भावपूर्ण बेहतरीन लघुकथा। शीर्षक भी बढ़िया है।

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