इस बार सरकार के सामने जो प्रस्ताव आया था वह चोंकाने वाला था। उनकी माँग थी कि राष्ट्रीय ध्वज में चक्र के स्थान पर गाय का चेहरा दिखाया जाय। अन्य धार्मिक संगठनों ने भी इस माँग का समर्थन कर डाला। इसके पीछे उनकी दलील थी कि इससे देश और विदेश में गाय का सम्मान बढ़ेगा और महत्व भी। इस नीति से गाय के विरुद्ध होने वाली हिंसा भी रुकेगी| अतः सरकार को झुकना पड़ा। सरकार का इरादा था कि इस नीति को गुप्त रखा जाय और चुनाव के वक्त खुलासा किया जाय। एक तरह से सरकार इस नीति को हथियार के रूप में चुनाव में भुनाना चाहती थी। एक पंथ दो काज| चूँकि इस योजना को गुप्त रूप से अंजाम देना था इसलिये इस कार्य के लिये विशेषज्ञ चित्रकार के रूप में एक जापानी चित्रकार को आमंत्रित किया गया। उसे गोपनीयता की शपथ दिलायी गयी।
इस कार्य के तहत चित्रकार ने जगह जगह घूम कर अनेक गायों के चित्र खींचे।गाय का एक आदर्श और मुकम्मल चेहरा चुनने के लिये| निर्धारित समय सीमा से पूर्व उस जापानी चित्रकार ने नये राष्ट्रीय ध्वज सरकार को सोंप दिये। सरकारी पर्यवेक्षक और विशेषज्ञ राष्ट्रीय ध्वज को देख कर भौचक्के रह गये। शेष सब कुछ ठीक था। गुणवत्ता ठीक थी। रंग और कपड़े का चुनाव भी बेहतर था।लेकिन गाय के चेहरे में पोलीथिन की थैली दिखाने का रहस्य किसी की समझ में नहीं आया। सभी इसका उत्तर चित्रकार से जानना चाहते थे।
"मैंने गाय के जितने भी फोटो खींचे थे, सब में गाय के मुँह में यह पोलीथिन की थैली देखी। मैंने सोचा कि इस थैली के बिना भारतीय गाय की पहचान अधूरी और व्यर्थ है"।
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मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।
बहुत ही विचारोत्तेजक अंतिम कटाक्षपूर्ण/व्यंग्यात्मक पंचपंक्ति युक्त बेहतरीन उम्दा सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।
हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।
आदरणीय तेजवीर सिंह साहब, एक साथ कई मुद्दों को समाहृत कर लिया आपने लघुकथा में । बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति पर अंतर्मन से बधाई।
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।
एक साथ दो-तीन समसामयिक गंभीर मुद्दों/विषयों/ वातावरण को उभारती विवरणात्मक शैली की बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।
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