For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गजल - जानता हूँ चुनाव होना है

रोज ही भाव-ताव होना है

जानता हूँ चुनाव होना है

 

पाँच वर्षों में’ भर गया वो तो

फिर नया एक घाव होना है

 

कूप सड़कों पे’ बन गये अनगिन

उनका अब रखरखाव होना है

 

कौन कितना कहाँ से लायेगा  

जोड़ना है घटाव होना है

 

धर्म के हो गए हैं’ गठबंधन

जातियों का जुडाव होना है

 

शांति हमको कहीं नहीं भाती

हर जगह अब तनाव होना है

 

गाल हैं ये गरीब के, इन पर   

आँसुओं का बहाव होना है

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 737

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 3, 2018 at 5:20pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 3, 2018 at 5:19pm

आदरणीय  Samar kabeer जी आपका सदैव स्वागत है , सादर नमन 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 3, 2018 at 3:46pm

इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय भाई बसंत जी  सादर 

Comment by Samar kabeer on August 2, 2018 at 4:47pm

मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 2, 2018 at 11:46am

आदरणीय  Samar kabeer जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया एवं सुझाव को सादर नमन, उत्तम रहेगा , अभी सुधार लेता हूँ 

Comment by Samar kabeer on August 1, 2018 at 5:04pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

अब उनका रखरखाव होना है'

ये मिसरा लय में नहीं है,यूँ कर सकते हैं :-

'उनका अब रखरखाव होना है'

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2018 at 12:27pm

आदरणीय  gumnaam pithoragarhi  जी दिल से शुक्रिया आपका

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2018 at 12:24pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी दिल से शुक्रिया आपका  

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2018 at 12:24pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी दिल से शुक्रिया आपका  

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2018 at 12:23pm

 आदरणीया Neelam Upadhyaya जी दिल से शुक्रिया आपका  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service