For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनुसरण- लघुकथा –

अनुसरण- लघुकथा –

माँ भारती अपनी संध्याकालीन पूजा अर्चना से निवृत होकर जैसे ही प्रांगण में आयीं। उन्होंने देखा कि उनके बच्चे दो गुट में बंटे हुए एक दूसरे पर तमंचों से गोलियाँ दाग रहे थे। एक गुट हर हर महादेव के जयकारे लगा रहा था और दूसरा गुट अल्ला हो अकबर के नारे लगा रहा था। माँ भारती स्तब्ध रह गयीं।

उन्होंने तुरंत बच्चों को रोका,"बच्चो, यह क्या कर रहे हो तुम लोग"?

"माँ, हम लोग हिंदू मुसलमान खेल रहे हैं"।

"पर यह खेल कौन सा है"?

"यह हिंदू मुस्लिम दंगा है"।

"नहीं, मेरे बच्चो,  हिंदू मुस्लिम दंगा खेल नहीं होता है। वह तो एक अप्रिय हादसा है। कोई दूसरा खेल खेलो"।

"मगर हम को तो हिंदू मुसलमान वाला खेल ही खेलना है"।

"जरूर खेलो लेकिन अच्छा वाला"।

"तो आप ही बताइये ना, अच्छा वाला खेल"।

"तुमने देखा है ना तुम्हारे पापा और रहीम के अब्बू कैसे ईद और दिवाली एक साथ मिलकर मनाते हैं। वही खेलो तुम भी।अनुसरण  ही करना है तो अच्छी चीज़ का करो"।

बच्चे खुशी से उछल पड़े और सब एक स्वर में चिल्लाये,"हाँ, यह ठीक है।यह बढ़िया खेल है"।

और बच्चों ने उसी वक्त तमंचे ज़मींन पर पटक दिये और एक दूसरे के गले मिलकर जोर से बोले ,"ईद मुबारक़"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on August 28, 2018 at 2:00pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी। लघुकथा के मर्म को समझने और उसे पसंद करने के लिये शुक्रिया।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 28, 2018 at 1:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आपने मेरी लघुकथा के मर्म को समझा और उसे पसंद किया। बेहद खुशी हुई।पुनः आभार।

Comment by Nita Kasar on August 27, 2018 at 6:08pm

हिंदू,मुसलमान बाद में पहिले हम माँ भारती की संतान है ।संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।

Comment by Samar kabeer on August 27, 2018 at 2:13pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा पैग़ाम देती,अच्छी सोच वाली लघुकथा लिखी आपने,वाह बहुत ख़ूब, इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 26, 2018 at 4:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।आपके सुझाव बेहद उत्तम हैं।कुछ हद तक मेरी भी सहमति है।देखिये क्या हो सकता है।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 26, 2018 at 6:00am

"ई़द-अल-अद़ह़ा" के त्याग व क़ुर्बानी वाले संदेश के समसामयिक मौक़े पर हमारी गंगा-जमुनी तहज़ीब से सराबोर त्योहार-जश्नों की स्वाभाविकता पर रौशनी डालती सकारात्मक व विचारोत्तेजक और प्रेरक लघुकथा हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और ई़द मुबारक मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह  साहिब। जनाब सुशील सरना जी की टिप्पणी और आपके जवाब दोनों से सहमत हूँ। समाधान यह भी हो सकता है कि संवाद के वाक्य // वही खेलो तुम भी// को थोड़ा सा बदल कर यूं किया जा सकता है : //वही तहज़ीब दोहराओ अपने खेलोंं में तुम भी!//... या ऐसा ही कुछ मेरे विचार से! दूसरा सुझाव यह की उस संवाद में इस.वाक्य की विशेष आवश्यकता नहीं लग.रही है : //अनुसरण ही करना है तो अच्छी चीज़ का करो"।//.. क्योकि यह भाव तो रचना व उसके शीर्षक से स्वतः सम्प्रेषित हो ही रहा है। सादर।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 25, 2018 at 8:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी।आपने ठीक सोचा कि ईद और दिवाली कोई खेल नहीं होते। मेरे विचार से दंगे भी खेल नहीं होते।यह हम लोगों की सोच है मगर बच्चे ऐसे नहीं सोचते।बच्चों के खेलने के दायरे बहुत बड़े होते हैं।जैसे - रामलीला खेलना, रेलगाड़ी खेलना, घर घर खेलना, कुछ भी खेल लेते हैं।उनके मन बेहद निर्मल और कोमल होते हैं। जो कहो , उसी पर विश्वास कर लेते हैं।सादर।

Comment by Sushil Sarna on August 25, 2018 at 6:04pm

बहुत सुंदर और संदेशप्रद लघुकथा का सृजन हुआ है आदरणीय। हार्दिक बधाई सर। आदरणीय क्षमा सहित यहाँ एक बात मुझे खटक रही है और वो ये कि ईद और दिवाली पर गले मिलना शायद खेल नहीं एक आपसी सद्भाव का उत्तम उदाहरण है। तो बच्चों को कहना ''वही खेलो तुम भी'' थोड़ा सा खटका। कृपया मेरे कहे को अन्यथा न लेवें। वैसे प्रस्तुतिकरण बेहतरीन है। सादर। ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service