For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी हर निशानी मिटाने से पहले

122 122 122 122 

मेरी हर निशानी मिटाने से पहले ।
वो रोया बहुत भूल जाने से पहले ।।1

गयी डूब कश्ती यहाँ चाहतों की ।
समंदर में साहिल को पाने से पहले ।। 2

जफ़ाओं के मंजर से गुज़रा है कोई ।
मेरा ख़त गली में जलाने से पहले ।।3

वो दिल खेलने के लिए मांगते हैं ।
मुहब्बत की रस्मे निभाने से पहले ।। 4


ये तन्हाइयां हो न जाएँ सितमगर ।
चले आइये याद आने से पहले ।।6


मेरे हाल पर छोड़ दे मुझको जालिम ।
मुझे और सपने दिखाने से पहले ।।7

जमाने की तासीर समझा करो तुम ।
किसी दिल पे जादू चलाने से पहले ।।8

वो देकर गया है नई इक चुनौती ।
मेरा हौसला आजमाने से पहले ।।9

बुलन्दी पे लाने की आदत है उनकी ।
नज़र से किसी को गिराने से पहले ।।10

यकीं कैसे कर लूं मैं तुझ पर ऐ जालिम ।
सराफत का मंजर दिखाने से पहले ।।11


तस्सवुर जवाँ हो गए सब हमारे ।
तुम्हारी ग़ज़ल गुनगुनाने से पचले ।112

है भौरों को पूरी खबर अब कली की ।
हवाओं में खुश्बू समाने से पहले ।।13
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 893

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 18, 2018 at 9:51am

आ0 राज नावादवी साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 18, 2018 at 9:50am

आ0 राज नावादवी साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 17, 2018 at 5:46pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार । 

ग़ज़ल पर आपकी महत्वपूर्ण इस्लाह से सहमत हूँ । कुछ सोच कर शेर को ठीक करूँगा । 

सराफत में टाइपो त्रुटि है । शराफत शब्द ही सहीह है । 

पुनः सादर नमन ।

Comment by नाथ सोनांचली on October 16, 2018 at 4:07pm

आद0 नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 15, 2018 at 5:54pm

आ0 तेजवीर सिंहः साहब ग़ज़ल तक आने के लिए तहे दिल से बहुत शुक्रिया । 

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 15, 2018 at 5:53pm

आ0 वी ऍम वृष्टि जी ग़ज़ल तक आने के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 15, 2018 at 5:53pm

आ0 नीलम उपाध्याय जी बहुत बहुत हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 15, 2018 at 5:52pm

आ0 बसन्त कुमार शर्मा साहब तहेदिल से शुक्रिया।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 15, 2018 at 5:51pm

आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 15, 2018 at 5:50pm

आ0 ब्रजेश कुमार ब्रज जी हार्दिक आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service