For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ६२

2122 1122 1122 22/ 112

 

याद की तह से कई भूले फ़साने निकले

आज हम तेरे लिखे ख़त जो जलाने निकले //1

 

चाहता हूँ मैं तुझे अपनी अना से बढ़कर

इस यकीं तक तुझे लाने में ज़माने निकले //२ 

 

ये भी अहसान जताने की नई कोशिश है

ख़त्म जब हो चुका रिश्ता तो मनाने निकले //3

 

अब कोई इनको बताए कि क़ज़ा क्या शय है

जा चुके छोड़ के दुनिया तो बुलाने निकले //4

 

जिनने खाई थी क़सम मुझको नहीं देखेंगे

आज काँधे पे मेरी लाश उठाने निकले //5

 

जो मेरे नाज़ उठाने में नहीं थकते थे

अपने हाथों से मेरी ख़ाक़ उड़ाने निकले //6

 

हैफ़ क्यों देखना क़ानून की नज़रों से इन्हें

भूख के मारे थे बच्चे जो चुराने निकले //7

 

छोड़ के पीछे बुजुर्गों की थकी आँखों को

लोग परदेस में दो पैसे कमाने निकले //8

 

बात ही बात में दिल क़ैद क्या नज़रों में  

वो तो मासूम से दिखते थे, सयाने निकले //9

 

आग बस्ती में ग़रीबों की लगाकर देखो

कितने शातिर हैं ये इंसाँ जो बुझाने निकले //10

 

ज़िंदगी भर की कमाई भी नहीं काम आई

राज़ गुल्लक से सभी सिक्के पुराने निकले //11

 

~राज़ नवादवी

 

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

 

Views: 882

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on October 15, 2018 at 11:59am

आदरणीय राज़ नवादवी जी आदाब,

                        यह दूसरी ग़ज़ल भी बेजोड़ है । पढ़कर और गुनगुनाकर मज़ा आ गया । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

Comment by राज़ नवादवी on October 15, 2018 at 8:30am

आदरणीय ब्रजेश जी, सुखन नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया. आपका संशय सही है, खाक़ शब्द स्त्रीलिंग है और मुझसे ये भूल हुई. इंगित करने का बहुत बहुत धन्यवाद. सुधार करके पेश करता हूँ. सादर. 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 14, 2018 at 7:24pm

वाह क्या कहने आदरणीय बेहतरीन ग़ज़ल.. 6 शेर को लेकर एक संशय है "मेरा ख़ाक" या मेरी ख़ाक...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत गूढ़ गजल हुई है । विचार, तथ्य और शब्दों का चयन बहुत कुछ सीखने को…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गजेन्द्र श्रोत्रिय जी, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय जी ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया।"
7 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, ग़ज़ल में उपस्थिति और उत्साहवर्धक शब्दों के लिए हार्दिक आभार। ग़ज़ल में…"
8 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई शिज्जू जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अच्छे अश'आर  हुए हैं आदरणीय, परन्तु  सचिन, रोहित, विराट इत्यादि से हमेशा शतक की ही…"
19 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शानदार हुई है ग़ज़ल। गिरह का शेर भी खूबसूरती से बंधा है। बधाई स्वीकार करें। अभी मोबाइल पर हूं। फिर…"
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
30 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई गजेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा व सुझाव के लिए आभार।"
41 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, इस बार के आयोजन में प्रदत्त ’तरह’ कई अर्थों में विशिष्ट…"
42 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service