For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"आहरण या चीर-हरण" (लघुकथा)

"आज न छोड़ेंगे, सोते हुओं को चेतायेंगे!"
"घोर अन्धकार है महाराज! सुझावों, चेतावनियों, प्रतिबंधों और घोषणाओं को चुनौती देकर पटाखों, आतिशबाज़ियों और वैद्युत-सजावटों से ही इनका राष्ट्र दहक रहा है, चमक रहा है! इतना तो आपके दहन-आयोजन के आडंबर मेंं भी नहीं होता!"
"...'आडंबर'..! मत कहो मेरे नई सदी के 'सक्रीय अस्तित्व' और 'सांकेतिक स्मरण' को 'आडंबर'..! मेरे दशानन की बदलती भूमिकाएं नहीं मालूम क्या तुम्हें?" नई सदी के नवीन दस मुखौटों वाले विशाल शरीर में अपनी आत्मा लिए दीपावली पर भारत-भ्रमण कर रहे रावण ने अपने साथ आये दास को डपटते हुए कहा।
"यहां तो केवल 'भव्य श्रीराम-मंदिर' की ही मांग है, 'भव्य श्रीरावण-मंदिर' की नहीं! आपके पुतलों के 'भव्य दहन-आयोजन' के कुछ दिनों बाद यहां राम-नाम की धूम ही धूम है महाराज!"
"नाम धूमिल करने वालों के द्वारा कैसी राम-धुन... और कैसी राम-धूम? असली आडंबर तो यही है! मानव का मानव के साथ छल! धन का बल, बस!" दहाड़ते हुए रावण बोला, लेकिन पटाखों की तेज़ आवाज़ों में केवल 'दास' के कान खड़े हो गए।
"तो अब आपका मंतव्य क्या है महाराज?"
"जब इस राष्ट्र के प्रमुख लोग ही अपने राम का नाम भुना कर उनकी छवि धूमिल करने पर तुले हुए हैं, तो 'अबकी बार मेरा भी परेशान 'राम' पर 'प्रहार'... मैं अब राम का 'आहरण' करूंगा... दुर्योधन की भांति अबकी 'राम' का ही 'चीर-हरण' करूंगा।"
"उससे क्या होगा?"
"सुना है कि इस महा-भारत में अब महिलाओं का युग है! ले जाऊंगा 'राम' को... और...! महिलायें चीख पड़ेंगी! महिलाएं ही पुरुषों को सही मार्ग प्रशस्त करेंगी न!"
"ठीक है महाराज! वैसे भी आधुनिक दानवी-मानवों के बीच श्रीराम और आप जैसे विद्वान रावण का यहां क्या काम! किंतु महाराज चीर-हरण आपको शोभा नहीं देगा; वो तो उनके छद्म-भक्त कई बार कर चुके! आप तो यहां से 'राम' का 'आहरण' कर लीजिए, राम-नाम को बचा लीजिए और अपनी नई परिमार्जित और असली 'रामराज्य' वाली लंका में उनका महाभिषेक कराइये महाराज!" यह कहते हुए वह दास उस रावण के चरणों पर जब गिरा, तो उसे उठा कर सीने से लगा कर रावण बोला - "चलो वापस...परमात्मा से यही अपील करते हैं!"


(मौलिक व प्रकाशित)

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 5, 2019 at 7:40pm

 आज मेरी इस रचना के अवलोकन करने वाले सम्मानित व्यूअर्स की संख्या सौ होने पर आप सभी अवलोकनकर्ताओं को हार्दिक धन्यवाद। कृपया इस अभ्यर्थी को इस रचना के संदर्भ में मार्गदर्शन भी प्रदान कीजिएगा। यदि इसमें किसी त्रुटि/ग़ुस्ताख़ी (क्षमा सहित)  के कारण संपादन/परिमार्जन की आवश्यकता हो,  तो तदानुसार संपादकीय या सुझाव अनुसार बदलाव किया जा सकता है। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service