For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ८०

२१२२ २१२२ २१२२ २१२

ज़र्बे दिल तू दे, पे हम दिल की दवाई तो करें
हम तेरी ख़ू ए गुनह की मुस्तफ़ाई तो करें //१

कह के दिल की बात किस्मत आज़माई तो करें
करते हों गर वो जो मुझसे कज अदाई तो करें //२ 

नफ़रतों को ख़त्म कर दिल की सफ़ाई तो करें
आप समझें गर हमें भी अपना भाई,तो करें //३ 

गर मिलें हम, कुछ नहीं पर, ख़ुश अदाई तो करें 
आप हमसे इतनी भी वादा वफ़ाई तो करें //४ 

है पता उनके सियासी फ़न की भी बाज़ीगरी
रहनुमा जो हैं वो पहले रहनुमाई तो करें //५  

आओ देखें तो तवालत हम तनाबे इश्क़ की
हों निसारे जाँ तेरे, उकदा कुशाई तो करें //६ 

तू नहीं है रू ब रू पर फ़िक्र में दायम तो है
हिज्र में इस वस्ल की हम रू नुमाई तो करें //७  

हैं नहीं दरकार हमको जिस्म की आसाइशें
दे ख़ुदा इतना कि हम हाज़त रवाई तो करें //८ 

आबे ज़मज़म ही समझ कर पीलें अपने अश्क 'राज़'
प्यास के मारे हैं हम, रोज़ा कुशाई तो करें //९  

~ राज़ नवादवी 

"मौलिक एवं अप्रकाशित" 

ख़ू- आदत; मुस्तफ़ाई- पवित्र और पुनीत बनाना, मुस्तफ़ा का काम करना; कज अदाई- ग़लत ढंग से पेश आना; ख़ुश अदाई- सकारात्मक भाव-भंगिमा; तवालत- लम्बाई; वादा वफ़ाई- वादे को पूरा करना; तनाब- रज्जू; उकदा कुशाई- गाँठ खोलना; दायम- नित्य; आबे ज़मज़म- ज़मज़म नदी का पवित्र पानी; हाज़त रवाई- आवश्यकता की पूर्ति; आसाइशें- सुख, चैन; रोज़ा कुशाई- व्रत तोड़ना; 

Views: 629

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on December 9, 2018 at 9:39pm

जी जनाब, आपने जैसा फ़रमाया, वैसी तब्दील करता हूँ. आपका तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by Samar kabeer on December 9, 2018 at 4:55pm

'  तू समझता है मुझे गर अपना भाई, तो करें'

इस मिसरे को यूँ कर लें :-

''आप समझें गर हमें भी अपना भाई,तो करें"

Comment by राज़ नवादवी on December 9, 2018 at 1:07pm

आदरणीय तेजवीर सिंह साहब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. मख्सूस शेर की पसंदगी का ह्रदय से आभार. सादर 

Comment by राज़ नवादवी on December 9, 2018 at 1:06pm

आपकी इस्लाह का बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब, ऐब को दूर कर दोबारा पोस्ट करता हूँ. क्या 'मुझे' को 'हमें' करने से ये दूर हो हैगा? सादर.  

Comment by TEJ VEER SINGH on December 9, 2018 at 12:31pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राज नवादवी जी।बेहतरीन गज़ल।

है पता उनके सियासी फ़न की भी बाज़ीगरी 
रहनुमा जो हैं वो पहले रहनुमाई तो करें //५  

Comment by Samar kabeer on December 9, 2018 at 11:00am

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'नफ़रतों को ख़त्म कर दिल की सफ़ाई तो करें 
तू समझता है मुझे गर अपना भाई, तो करें'

इस शैर में शुतरगुरबा दोष है,देखें ।

Comment by राज़ नवादवी on December 8, 2018 at 10:07pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल में शिरकत और सुखन नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया. हमें ख़ुशी है कि आपको अशआर पसंद आये. सादर.  

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 8, 2018 at 7:35pm

आ. भाई राज नवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई । ये असआर बेहतरीन लगे -


हैं नहीं दरकार हमको जिस्म की आसाइशें
दे ख़ुदा इतना कि हम हाज़त रवाई तो करें //८ 

आबे ज़मज़म ही समझ कर पीलें अपने अश्क 'राज़' 
प्यास के मारे हैं हम, रोज़ा कुशाई तो करें //९  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
yesterday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service