For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छोटी सी प्रेम कहानी ( लघुकथा )

प्रेमी बोला , ' आओ प्यार की कुछ बातें करें .'

' हाँ यह हुई न बात . चलो करो .' प्रेमिका ने सहमति से सिर हिलाया .

' तो फिर रूठो .' प्रेमी ने कहा

" बात तो  प्यार की हुई है , रूठने को क्यों कहा . "  प्रेमिका इठलाई .

" रूठोगी नहीं तो   तो प्यार की बातें करके तुम्हें मनाऊंगा कैसे . "  प्रेमी ने समस्या रखी .

' पर रूठना तो  तो मुझे आता नहीं है .' प्रेमिका इतराई

" तुम दूसरी तरफ मुँह करके बैठ जाओ . मैं जब बुलाऊँ तो मेरी तरफ देखना  मत . "

" ये क्या बात हुई . मैं तुम्हारी तरफ देखूं ही नहीं ,  तुम  कहीं चले गए तो मैं क्या करूंगी . इसलिए ये नहीं चलेगा ."

" मैं क्यों जाऊंगा और वो भी तुम्हें छोड़कर ."

" क्या पता . आज कल कहते हैं कि किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए  आँख मूंदकर ."

" तुम तो  मुझ पर बिना बात शक करने लगीं  . जब अभी से तुम्हारा ये हाल है तो  फिर जिंदगी में  प्यार की बातें कैसे  होंगी ! " प्रेमी झल्लाया

' ऐ ज्यादा बनने की जरूरत नहीं है . प्यार की बातें करने का प्रस्ताव तुम्हारा था , मेरा नहीं ."

' ठीक है बाबा ! मत करो प्यार की बातें . हम ऐसे ही ठीक हैं .' प्रेमी ने हमेशा की तरह समर्पण की मुद्रा अपना ली .

प्रेमिका कुछ देर तक उसकी मजबूर और असहाय हालत को देखती रही . कोमल ह्रदय कि तो थी ही . उसे लगा इस जीव की तो सांस ही रूक  सकती है . ऐसा हो गया तो उस पर बिना वजह हत्या का पाप लग जायेगा . तब वह खुद को कैसे माफ़ करेगी .   उसे प्रेमी पर तरस भी आ गया . उसने अपने चेहरे के भावों को बदला . हल्की सी मुस्कान को चेहरे पर आने दिया और  धीमी गति सी उसकी  ओर बढ़कर  उसके  हाथों को  अपने हाथो में लिया . फिर दोनों ने साथ - साथ एक झाड़ीनुमा झुरमुट खोजा और उसके पीछे जाकर छुपकर बैठ गए . प्रेमी बोला , " अब तो करोगी न  प्यार की बातें ."

उसने धीरे सी कहा , " हाँ प्यार भी करूँगीं और उसकी बातें भी करूंगीं ."  

( मौलिक एवं अप्रकाशित )

सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on December 11, 2018 at 10:52pm

जनाब सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है लेकिन अभी कुछ समय चाहता है, इसे कुछ और कसने की ज़रूरत है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on December 11, 2018 at 10:44pm

// सूंदर रचना//

जनाब फूल सिंह जी,पटल की कुछ रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों पढ़ीं,जो इसी तरह की हैं,आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि ऐसी टिप्पणियां देना ओबीओ की परिपाटी नहीं है,ये सोशल मीडिया पर चलता होगा,चूँकि ये सीखने सिखाने का पटल है,इसलिए यहाँ किसी रचना पर टिप्पणी देते समय पहले रचनाकार को आदरपूर्वक सम्बोधित करते हैं फिर उसकी रचना पर तारीफ़ या आलोचना की जाती है,उम्मीद है आप इस परम्परा को निभाने में सहयोग करेंगे ।

Comment by PHOOL SINGH on December 11, 2018 at 5:10pm

सूंदर रचना

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service