प्रेमी बोला , ' आओ प्यार की कुछ बातें करें .'
' हाँ यह हुई न बात . चलो करो .' प्रेमिका ने सहमति से सिर हिलाया .
' तो फिर रूठो .' प्रेमी ने कहा
" बात तो प्यार की हुई है , रूठने को क्यों कहा . " प्रेमिका इठलाई .
" रूठोगी नहीं तो तो प्यार की बातें करके तुम्हें मनाऊंगा कैसे . " प्रेमी ने समस्या रखी .
' पर रूठना तो तो मुझे आता नहीं है .' प्रेमिका इतराई
" तुम दूसरी तरफ मुँह करके बैठ जाओ . मैं जब बुलाऊँ तो मेरी तरफ देखना मत . "
" ये क्या बात…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on December 10, 2018 at 8:30pm — 3 Comments
तो कुछ बात बने
अंधेरों की नहीं ,जीवन में उजाले की कोई बात करो तो कुछ बात बने
निकला हैं दिन अभी,सूरज की किरणों की कोई बात करो तो कुछ बात बने .
क्यूँ बात करते हों उन पतझड़ों की,नव कोपलों की कोई बात करो तो कुछ बात बने
न बातें करो उदास रतजगों की ,प्यार भरी बंसी की कोई बात करो तो कुछ बात बने
सूखी हुई धरा पर बरसा हैं बरखा का जल अभी ,बरस जाए ये भरपूर तो कुछ बात बने
मेहरबां हुई हैं तुम्हारी नजर एक मुद्द्त के बाद , ठहर…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on September 23, 2015 at 11:00pm — 1 Comment
अन्य दिनों की अपेक्षा , सुमेर के चेहरे पर तनाव की जगह संतोष झलक रहा था . उनके मन में पत्नी के प्रति क्रतज्ञता के भाव बार - बार उभर कर , शब्दों के माध्यम से निकलना चाहते थे . " बहुत बार तुम जटिल सिचुऐशन को भी बड़े अच्छे से टेकल कर लेती हो . मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी कि इस मामले में इतनी आसानी से सफलता मिल जाएगी .वरना भागीरथ - बाबू ने तो डरा ही दिया था .” खाने की थाली में चपाती की मांग के साथ उसने पत्नी की तारीफ़ की .
" लो यह क्या बात हुई , जी ! हम उस पुलिसीए को कुछ दे ही रहे…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on September 4, 2015 at 9:00pm — 5 Comments
" बाबू जी ! कबाड़ी वाले को क्यों बुलाया था ? "
" बस , यूँ ही . बेटा ."
" यूँ ही क्यों बाबू जी ! आप तो उससे कह रहे थे कि इस घर का सबसे बड़े कबाड़ आप हैं और वह आपको ही ले जाये ."
" इसमें झूठ क्या है ? इस घर में मेरी हस्ती कबाड़ से ज्यादा है क्या ? "
" बाबू जी , प्लीज़ आप ऐसा न कहिये . क्या मैं या इंदु आपका ख्याल नहीं रखते ? "
" दिन भर कबाड़ की तरह घर के इस या उस कोने में पड़ा रहता हूँ और वक्त - बेवक्त तोड़ने के लिए दो रोटियाँ मिल जाती हैं , तुम दोनों ने मेरे…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on August 16, 2015 at 9:30am — 5 Comments
1.
तू मेरा हमसफ़र है
दुनिया को तो क्या
तुझे ही पता नहीं.
2.
अबकी सुबह
होगा तेरा दीदार
सोचता तो रोज ही हूँ
3.
माँगा था उसे
इबादत की तरह
सुना है इबादत
कभी बेकार नहीं जाती
4. बड़ी शिद्द्त के बाद
तेरा सामना हुआ
तू तो उम्मीद से आगे
खूबसूरत निकला
5. चलो छोड़ो बहुत हो गया
कोई भला इतनी देर के लिए
भी रूठता है क्या…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on August 14, 2015 at 6:00pm — 3 Comments
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