For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इति सिद्धम (लघुकथा)

डियर संस्कार,

चौंक तो गये होगे! मोबाइल एप्स से, सोशल मीडिया पर या ऑनलाइन अपनी बात कहने के बजाय इस ख़त से ही अपने अंजाम से वाक़िफ़ करा रहा हूं तुम्हें। आख़िर तुमने ही तो सुसाइड के लिए मज़बूर कर दिया! ख़ूब घमंड था मुझे अपनी ऑनलाइन पढ़ाई पर! माडर्न अपडेटिड छात्र समझने लगा था मैं अपने आपको। स्कूल की पढ़ाई, ट्यूशनों की पढ़ाई और फिर सोशल मीडिया, मोबाइल गेम, आधुनिक दोस्त-यारी, फ़ोटो-वीडियोग्राफ़ी इन सब में मशगूल रहते हुए ऑनलाइन अपने हसीन करियर की हसीन रणनीति बनाया करता था मैं! रात भर जागता था उन दिनों!

"हां, तैयार हूं मैं! ऑनलाइन प्रेक्टिस पेपर्स हल कर पूरा सिलेबस मुझमें समा गया है।‌" यही आभास होता रहा मुझे! हर पेपर की पिछली रात मुझे यही महसूस होता था। अपनी फाइनल परीक्षाओं के प्रति ज़बरदस्त आत्मविश्वास था मुझे।

"तुम तो उत्तर पुस्तिकाएं पूरी भर कर आना। प्रोफेशनल परीक्षक बढ़िया ही नंबर देते हैं!" मेरे दोस्तों ने समझाया था न कि परीक्षक बहुत उदार होते हैं। मैं उत्तर पुस्तिकाओं को पूरा भरता रहा। मुझे क्या पता था कि मैंने उनमें ऐसा क्या लिखा कि ईमानदार परीक्षक की कलम ने मेरी उत्तरपुस्तिकाओं का ख़ून कर दिया। कितनी ज़ालिम होती है ईमानदार शिक्षक की क़लम! मैं लगभग सभी मुख्य विषयों में फेल हो गया।

अब मुझे तुम बहुत याद आ रहे हो दोस्त! मैं तुम्हें क़िताबी कीड़ा, कूप-मण्डूक और भी न जाने क्या-क्या कहकर चिढ़ाकर ज़माने से कटा इंसान कहता था। आज मेरी उस ग़लत और घटिया सोच ने ख़ुदकुशी कर‌ ली है! अब मैं तुम्हारी सोच की शरण में हूं। मैं भी तुम्हारे नेक संतुलित व संयमित सुव्यवस्थित तरीक़े से अपने करियर निर्माण में जुटना चाहता हूं! मैं हवा में उड़ रहा था। तुम सही साबित हुए!

(क्यू. ई. डी.) इति सिद्धम!

अब तुम्हारा मित्र व शिष्य,
"अभिनव"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 19, 2019 at 1:36pm

आदाब। मेरी इस रचना के अवलोकन और प्रोत्साहक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहिब, आदरणीया नीलम उपाध्याय साहिबा और आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 3, 2019 at 12:34pm

आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी, अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक ,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2019 at 5:12pm
  • जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब, अच्छी लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l 
Comment by Samar kabeer on April 2, 2019 at 10:53am

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
39 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
12 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service