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ग़ज़ल _(रहबरी उनकी मुझको हासिल है)

(फाइ ला तुन _मफा इलुन _फ़ेलुन)

रहबरी उनकी मुझको हासिल है l
अब भला किसको फिकरे मंज़िल है l

दे सफ़ाई न क़त्ल पर वर्ना
लोग समझेंगे तू ही क़ातिल है l

उस हसीं से गिला है सिर्फ यही
वो वफ़ाओं से मेरी गाफिल है l

दोस्तों से वो राय लेते हैं
सिर्फ़ उलफत में ये ही मुश्किल है l

ढूँढ कर लाए तो कोई ऎसा
मेरा महबूब माहे कामिल है l

जो बचाता है बदनज़र से उन्हें
उनके रुखसार का ही वो तिल है l

वो है तस्दीक धोके बाज़ कोई
जिसके ऊपर फिदा तेरा दिल है l

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by TEJ VEER SINGH on April 16, 2019 at 12:03pm

हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन गज़ल।

जो बचाता है बदनज़र से उन्हें
उनके रुखसार का ही वो तिल है l

कृपया ध्यान दे...

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