For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जलेबी - लघुकथा -

आज स्कूल की छुट्टी थी इसलिये गुल्लू बिस्तर से उठते ही सीधा दादा दादी के कमरे की तरफ दौड़ पड़ा। कमरा खाली मिला तो माँ के पास जा पहुंचा,"माँ, दादा जी और दादी जी कहाँ चले गये?"

"यहीं पड़ोस वाले मंदिर तक गये हैं। अभी आने वाले हैं।"

"पर वे लोग रोज तो नहीं जाते मंदिर। आज कोई त्योहार है क्या?"

"आज उनकी शादी की पचासवीं साल गिरह है। इसलिये भगवान जी के दर्शन करने गये हैं।"

"अरे वाह, फिर तो आज विशेष पकवान बनेंगे।"

"हाँ जरूर बनेंगे।"

"माँ जलेबी भी बनाना।"

"अच्छा।"

"माँ मैं दादाजी और दादीजी को लेकर आता हूँ।"

और माँ के प्रति उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना ही बाहर दौड़ गया।

गुल्लू दादा दादी के साथ लौटा तो रसोई घर से पकवानों की महक आ रही थी।

थोड़ी देर में सबकी थालियाँ डाइनिंग टेबल पर लग गयीं।

गुल्लू थाली में पूड़ी कचोड़ी के साथ देशी घी की माँ के हाथ की बनी जलेबियाँ देख कर उछल पड़ा।जलेबी उसका मन पसंद पकवान था।जलेबी और वह भी देशी घी की।गुल्लू के मुँह में पानी आ गया।

तभी उसकी नजर दादाजी और दादीजी की थाली पर पड़ी।उसमें सादा खाना परोसा गया था।ना तो पूड़ी कचोड़ी थी और ना ही जलेबियाँ। गुल्लू उदास हो गया|

"माँ दादाजी और दादी जी को पूड़ी कचोड़ी और जलेबी क्यों नहीं दी?"

"उनको यह सब खाना मना है।"

"ठीक है माँ, आज मैं भी वही खाऊंगा जो दादाजी और दादीजी खायेंगे।" और थाली एक तरफ खिसका दी।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on September 23, 2019 at 8:14pm

 हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज''जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 23, 2019 at 8:12pm

हार्दिक आभार आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। 

Comment by TEJ VEER SINGH on September 23, 2019 at 8:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी। आदाब।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 19, 2019 at 7:26pm

शानदार लघुकथा सृजित हुई है आदरणीय...

Comment by Samar kabeer on September 19, 2019 at 11:30am

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 19, 2019 at 5:49am

आ. भाई तेजवीर जी, अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service