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कैसे कहें की इश्क़ ने क्या क्या बना दिया - सलीम 'रज़ा'

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कैसे कहें की इश्क़ ने क्या क्या बना दिया              

राधा को श्याम श्याम को राधा बना दिया               

 

उस बेर की मिठास तो बस जाने राम जी      

सबरी ने जिसको चख के है मीठा बना दिया   

  

यूसुफ़ न बन सका कभी तेरी निगाह में

लेकिन तुझे तो मैंने ज़ुलेख़ा बना दिया

 

ये  इश्क़ है जुनूं  है  महब्बत  है  या नशा                  

मजनू बना दिया कभी राँझा बना दिया 

 

खिलता रहे ख़ुलूस-- मोहब्बत का ये चमन

ये सोच के ख़ुदा ने ज़माना बना दिया

"मौलिक व अप्रकाशित" 

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Comment

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Comment by SALIM RAZA REWA on December 9, 2019 at 10:34pm

भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब आपकी पुरख़ुलूस महब्बत का बेहद शुक्रिया।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 9, 2019 at 6:30am

आ. भाई सलीम जी, उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

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