मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122
हज़ज मुसद्दस महजूफ़
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निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की,
उसे पर्वा नहीं मेरी ख़ुशी की
*
समझता ही नहीं जो दर्द मेरा,
निगाहों ने उसी की बंदगी की
*
वही इक शख़्स जो कुछ भी नहीं है,
हर इक मुश्किल में उसने रहबरी की
*
उसी का रंग है मेरे सुख़न में,
उसी से आबरू है शायरी की
*
उजाले गिर पड़े क़दमों पे आकर,
अंधेरों से जो मैंने दोस्ती की
*
अदीबों में है मेरा नाम…
Added by SALIM RAZA REWA on October 25, 2023 at 6:00am — 5 Comments
ऐ मेरे दोस्त मोहब्बत को बचाए रखना
दिल में ईमान की शम्अ' को जलाए रखना
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इस नए साल में खुशियों का चमन खिल जाए
सबको मनचाही मुरादों का सिला मिल जाए
इस नए साल में खुशियों की हो बारिश घर घर
इस नए साल को ख़ुश रंग बनाए रखना
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जान पुरखों ने लुटाई है वतन की ख़ातिर
गोलियाँ सीने में खाई है वतन की ख़ातिर
सारे धर्मों से ही ताक़त है वतन की मेरे
सारे धर्मों की मोहब्बत को बनाए रखना
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ज़ात के नाम पे दंगों को…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on December 24, 2019 at 7:00pm — 2 Comments
221 2121 1 221 212
रुख़ से जो मेरे यार ने पर्दा हटा दिया
महफ़िल में हुस्न वालों को पागल बना दिया
मौसम को जिसने छू के नशीला बना…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on December 11, 2019 at 10:16pm — No Comments
2122 1122 1122 22
चाहे दुनिया में कहीं और चले जाएंगे
चाह कर भी वो मुझे भूल नहीं पाएंगें
उनके एल्बम में है तस्वीर पुरानी मेरी
अब वो देखेंगे तो पहचान नहीं पाएंगे…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on December 11, 2019 at 10:00pm — No Comments
221 2121 1221 212
कैसे कहें की इश्क़ ने क्या क्या बना दिया
राधा को श्याम श्याम को राधा बना दिया
उस बेर की मिठास तो बस जाने राम जी
सबरी ने जिसको चख के है मीठा बना…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on December 8, 2019 at 5:00am — 2 Comments
2122 1122 1122 22
अपने हर ग़म को वो अश्कों में पिरो लेती है
बेटी मुफ़लिस की खुले घर मे भी सो लेती है
मेरे दामन से लिपट कर के वो रो लेती है
मेरी तन्हाई मेरे साथ ही सो लेती है
तब मुझे दर्द का एहसास बहुत होता है
जब मेरी लख़्त-ए-जिगर आंख भिगो लेती है
मैं अकेला नहीं रोता हूँ शब-ए-हिज्राँ में
मेरी तन्हाई मेरे साथ में रो लेती है
अपने दुःख दर्द…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on December 3, 2019 at 6:41pm — 5 Comments
221 2121 1221 212
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रौशन है उसके दम से सितारों की रौशनी
ख़ुश्बू लुटा रही है बहारों की रौशनी
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इक वो है माहताब फक़त आसमान में
फीकी है जिसके आगे हज़ारों की रौशनी…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on November 21, 2019 at 8:52pm — 6 Comments
2122 1212 22
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हौसला जिसका मर नहीं सकता
मुश्किलों से वो डर नहीं सकता
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लोग कहते हैं ज़ख़्म गहरा है
मुद्दतों तक ये भर नहीं सकता
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Added by SALIM RAZA REWA on November 9, 2019 at 7:30pm — 3 Comments
22 22 22 22 22 22 22 2
सुख उसका दुख उसका है तो फिर काहे का रोना है
दौलत उसकी शोहरत उसकी क्या पाना क्या खोना है //
चाँद-सितारे उससे रोशन फूल में उससे खुशबू है
ज़र्रे-ज़र्रे में वो शामिल वो चांदी वो सोना है //
खुशिओं के वो मोती भर दे या ग़म की बरसात करे
उसकी हुकूमत है हर सू वो जो चाहे सो होना है //
सारी दुनिया का वो मालिक हर शय उसके क़ब्ज़े में
उसके आगे सब कुछ फीका क्या जादू क्या टोना है…
Added by SALIM RAZA REWA on October 6, 2019 at 8:30pm — 10 Comments
2122 1122 1122 22
मेरी आँखों में हुआ जब से ठिकाना तेरा
लोग कहते हैं सरे आम दिवाना तेरा
रोज़ मिलने की तसल्ली न दिया कर मुझको
जान ले लेगा किसी रोज़ बहाना तेरा
छीन लेगा ये मेरा होश यकीनन इक दिन …
Added by SALIM RAZA REWA on October 1, 2019 at 8:00am — 10 Comments
1212 1122 1212 22
जो मेरी छत पे कबूतर उदास बैठे हैं
वो तेरी याद में दिलबर उदास बैठे हैं
तुम्हारी याद के लश्कर उदास बैठे हैं
हसीन ख़्वाब के मंज़र उदास बैठे हैं
तमाम गालियाँ हैं ख़ामोश तेरे जाने से
तमाम राह के पत्थर उदास बैठे हैं
बिना पिए तो सुना है उदास रिंदों को
मियाँ जी आप तो पी कर उदास बैठे हैं
ज़रा सी बात पे वो छोड़ कर गया मुझको…
Added by SALIM RAZA REWA on September 20, 2019 at 11:00pm — 4 Comments
ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा
उजड़ने न देंगे चमन ये हमारा
वतन के लिए जो मेरी जान जाए
ख़ुदारा यहीं फिर जनम लें दुबारा
…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on August 15, 2019 at 11:30am — 3 Comments
2122 1122 1122 22
बिन तेरे रात गुज़र जाए बड़ी मुश्किल है
और फिर याद भी न आए बड़ी मुश्किल है
खोल कर बैठे हैं छत पर वो हसीं ज़ुल्फ़ों को
ऐसे में धूप निकल आए बड़ी मुश्किल है
मेरे महबूब का हो ज़िक्र अगर महफ़िल में
और फिर आँख न भर आए बड़ी मुश्किल है
वो हसीं वक़्त जो मिल करके गुज़ारा था कभी
फिर वही लौट के आ जाए बड़ी मुश्किल है
वो सदाक़त वो सख़ावत वो मोहब्बत लेकर
फिर कोई आप सा आ जाए बड़ी मुश्किल है
---
मौलिक अप्रकाशित
Added by SALIM RAZA REWA on July 29, 2019 at 9:30pm — 3 Comments
1222 1222 1222 1222
बुलन्दी मेरे जज़्बे की ये देखेगा ज़माना भी
फ़लक के सहन में होगा मेरा इक आशियाना भी
.
अकेले इन बहारों का नहीं लुत्फ़-ओ-करम साहिब
करम फ़रमाँ है मुझ पर कुछ मिजाज़-ए-आशिक़ाना भी
.
जहाँ से कर गए हिजरत मोहब्बत के सभी जुगनू
वहां पे छोड़ देती हैं ये खुशियाँ आना जाना भी
.
बहुत अर्से से देखा ही नहीं है रक़्स चिड़ियों का
कहीं पेड़ों पे भी मिलता नहीं वो आशियाना भी
.
हमारे शेर महकेंगे किसी दिन उसकी रहमत से
हमारे साथ…
Added by SALIM RAZA REWA on July 23, 2019 at 9:30pm — 1 Comment
2122 1212 22
अपनी ज़ुल्फों को धो रही है शब
और ख़ुश्बू निचो रही है शब
oo
मेरे ख़ाबों की ओढ़कर चादर
मेरे बिस्तर पे सो रही है शब
oo
अब अंधेरों से जंग की ख़ातिर
कुछ चराग़ों को बो रही है शब
oo
सुब्ह-ए-नौ के क़रीब आते ही
अपना अस्तित्व खो रही है शब
oo
दिन के सदमों को सह रहा है दिन
रात का बोझ ढो रही है शब
___________________
"मौलिक व…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 29, 2019 at 10:51am — 6 Comments
1212 1122 1212 22/112
--
जनाबे मीर के लहजे की नाज़ुकी कि तरह
तुम्हारे लब हैं गुलाबों की पंखुड़ी की तरह
oo
शगुफ्ता चेहरा ये ज़ुलफें ये नरगिसी आँखे
तेरा हसीन तसव्वुर है शायरी की तरह
oo
अगर ऐ जाने तमन्ना तू छत पे आ जाए
अंधेरी रात भी चमकेगी चांदनी की तरह
oo
यूँ ही न बज़्म से तारीकियाँ हुईं ग़ायब
कोई न कोई तो आया है…
Added by SALIM RAZA REWA on April 18, 2019 at 9:55am — 7 Comments
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
.
हद से गुज़र गई हैं ख़ताएँ तो क्या करें
ऐसे में उनसे दूर ना जाएँ तो क्या करें
oo
उसकी अना ने सारे तअल्लुक़ मिटा दिए
उस बे-वफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें
oo
मीना भी तू है मय भी तू साक़ी भी जाम भी
आँखों में तेरी डूब न जाएँ तो क्या करें
oo
कश्ती को डूबने से बचाया बहुत मगर
हो जाएं गर…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 8, 2019 at 4:30pm — 10 Comments
मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
_____________
आख़िर ये इश्क़ क्या है जादू है या नशा है
जिसको भी हो गया है पागल बना दिया है
oo
हाथो में तेरे हमदम जादू नहीं तो क्या है
मिट्टी को तू ने छूकर सोना बना दिया है
oo
उस दिन से जाने कितनी नज़रें लगी हैं मुझपर
जिस दिन से तूने मुझको अपना बना लिया है
oo
खिलता हुआ ये चेहरा यूँ ही रहे सलामत
तू ख़ुश रहे हमेशा मेरी यही…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 4, 2019 at 9:13am — 6 Comments
ओबीओ को समर्पित एक क़त'आ
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जब से तेरी मेहरबानी हो गई
ख़ूबसूरत ज़िन्दगानी हो गई
हम हुए तेरे दिवाने इस तरह
जिस तरह 'मीरा' दिवानी हो गई
...........
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
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जिंदगी को गुनगुना कर चल दिए
मौत को अपना बना कर चल दिए
oo
उम्र भर की दोस्ती जाती रही
आप ये क्या गुल खिलाकर चल…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 2, 2019 at 10:00am — 6 Comments
2122 2122 212
धूप का विस्तार लगाकर सो गए
छांव सिरहाने दबाकर सो गए
oo
ज़िंदगी से थक-थका कर सो गए
वो चराग़-ए-जाँ बुझा कर सो गए
oo
गुफ़्तगू की दिल मे ख़्वाहिश थी मगर
वो मेरे ख़्वाबों में आकर सो गए
oo
तंग थी चादर तो हमने यूँ किया
पांव सीने से लगाकर सो गए
oo
उनकी नींदों पर निछावर मेरे ख़ाब
जो ज़माने को जगाकर सो गए
oo
बे-कसी में…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on March 18, 2018 at 11:00pm — 19 Comments
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