प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ ...
स्मृति घरौंदों में तेरा मैं
कालजयी श्रृंगार करूँ
अभिलाष यही है अंतिम पल तक
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ
श्वास सिंधु के अंतिम छोर तक
देना मेरा साथ प्रिय
उर -अरमानों के क्रंदन का
कैसे मैं परिहार करूँ
अभिलाष यही है अंतिम पल तक
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ
मेरी पावन अनुरक्ति का
करना मत तिरस्कार प्रिय
दृग शरों के घावों का मैं
कैसे क्या उपचार करूँ
अभिलाष यही है अंतिम पल तक
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ
नैन तटों पर तेरे मेरा
जीवन सारा कट जाए
हृदय कुञ्ज में प्रणय पलों का
हरदम मैं सत्कार करूँ
अभिलाष यही है अंतिम पल तक
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .... सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। आपको नूतन वर्ष की हार्दिक बधाई एवं हार्दिक शुभकामना।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय Dr. Geeta Chaudhary जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आपको नूतन वर्ष २०२० की हार्दिक बधाई।नया वर्ष आपके जीवन खुशियों की सौगात लाये। हैप्पी न्यू ईयर ...
आदरणीय सुशील सरना जी बहुत ही सुंदर। सुंदर भाव और आकर्षक शब्द शिल्पकारी। बहुत बधाई आपको।
नैन तटों पर तेरे मेरा
जीवन सारा काट (कट ) जाए --------- बड़ी मनोरम अभिव्यक्ति / सुन्दर
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