For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता: "तुम्हारे हित देशहित से बड़े क्यूँ है?"

तुम्हारे हित देशहित से बड़े क्यूँ है?

ये दुश्चरित्र है तुम्हारा,

सताता मुझे क्यूँ है?

तुम इन्सान ही बुरे हो,

इल्जाम धर्म और जात पर क्यूँ है?

तुम्हे इसमें सुकून है बहुत,

ये मेरे सुकूं को खाता क्यूँ है?

ये धर्म के ठेकेदार हैं,

फिर मानवता के भक्षक क्यूँ हैं?

ये दोषी है समाज के,

 कतार में इतने रक्षक क्यूँ है?

क्या तेरा ईमान है, कहाँ तेरा ज़मीर है?

भौंडे कुतर्कों का इतना गुमान क्यूँ है?

कर्म- संदेशी इस धरा पर,

कर्म से भटका मानव क्यूँ है?

गंगा- जमुनी इस तहजीब में,

लगा ये कलंक क्यूँ है?

कौन रहेगा कौन सहेगा?

किसकी होगी दावेदारी?

इतिहास केवल दर्ज करेगा

सिर्फ़ तुम्हारी ज़िम्मेदारीI

ना मै नेता, ना धर्मगुरु,

ना मौलवी, ना ज्ञानी हूँI

माँ भारती की रक्षा में 

खड़ा एक सेनानी हूँI

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on January 24, 2020 at 6:45pm

आदरणीय समर कबीर जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on January 19, 2020 at 8:44pm

मुहतरमा गीता चौधरी जी आदाब,अच्छी जज़्बाती कविता लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on January 15, 2020 at 11:06am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 14, 2020 at 4:03pm

आ. गीता जी, समसामयिक विषय पर अच्छी अभिव्यक्ति हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post मनका छंद
"आ. भा सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

मनका छंद

मनका / वर्णिका छंद - तीन चरण, पाँच-पाँच वर्ण प्रत्येक चरण,दो चरण या तीनों चरण समतुकांतमस्त जवानी   …See More
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सहमत"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"हार्दिक आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सशील जी, शब्दों को मान देने के लिए आभार। संशोधन के बाद दोहा निखर भी गया है । सादर..."
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .राजनीति

दोहा पंचक. . . राजनीतिराजनीति के जाल में, जनता है  बेहाल । मतदाता पर लोभ का, नेता डालें जाल…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  अबला बेटी करने से वाक्य रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
Sunday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service