इतने कांटे
कि उनसे बचते-बचते
गुलाब क्या
हर फूल से हम
दूर हो गए .......... 1.
पेड़ कहीं जाते नहीं
फल पक जाएँ
तो रुक पाते नहीं....... 2 .
तुम क्या गये
मेरी तन्हाई
भी ले गये .......…… 3.
और यह भी , यूँ ही,
उनका लिखा शेर खूब चला, खूब चला, खूब चला,
चलना ही था , ट्रक के पीछे जो लिखा था ॥
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ० विजय सर
क्या बात है , मजा आ गया . सादर .
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