For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामयिक गीत: पंच फैसला... संजीव 'सलिल'

सामयिक गीत:

पंच फैसला...

संजीव 'सलिल'

*

पंच फैसला सर-आँखों,

पर यहीं गड़ेगा लट्ठा...

*

नाना-नानी, पिता और माँ सबकी थी ठकुराई.

मिली बपौती में कुर्सी, क्यों तुम्हें जलन है भाई?

रोजगार है पुश्तों का, नेता बन भाषण देना-

फर्ज़ तुम्हारा हाथ जोड़, सर झुका करो पहुनाई.

सबको अवसर? सब समान??

सुन-कह लो, करो न ठट्ठा...

*

लोकतंत्र है लोभतन्त्र, दल दाम लगाना जाने,

भौंक तन्त्र को ठोंकतन्त्र ने दिया कुचल मनमाने.

भोंक पीठ में छुरा, भाइयों! शोक तन्त्र मुस्काये-

मृतकों के घर जा पैसे दे, वादे करें लुभाने..

संसद गर्दभ ढोएगी

सारे पापों का गट्ठा...  

*

उठा पनौती करी मौज, हो गए कहीं जो बच्चे.

हम देते नकार रिश्तों को, हैं निर्मोही सच्चे.

देश खेत है राम लला का, चिड़ियाँ राम लला की-

पंडा झंडा कोई हो, हम खेल न खेले कच्चे..

कहीं नहीं चाणक्य जड़ों में

डाल सके जो मट्ठा...

*

नेता जी-शास्त्री जी कैसे मरे? न पता लगाया..

अन्ना हों या बाबा, दिन में तारे दिखा भगाया.

घपले-घोटालों से फुर्सत, कबी तनिक पाई तो-

बंदर घुडकी दे-सुन कर फ़ौजी का सर कटवाया.

नैतिक जिम्मेदारी ले वह

जो उल्लू का पट्ठा...

*

नागनाथ गर हटा, बनेगा साँपनाथ ही नेता.

फैलाया दूजा तब हमने, पहला जाल समेटा.

केर-बेर का संग बना मोर्चा झपटेंगे सत्ता-

मौनी बाबा कोई न कोई मिल जाएगा बेटा.

जोकर लिए हाथ में हम

तुम सत्ता चलो या अट्ठा...

***

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by upasna siag on January 24, 2013 at 3:52pm

नागनाथ गर हटा, बनेगा साँपनाथ ही नेता.

फैलाया दूजा तब हमने, पहला जाल समेटा.

केर-बेर का संग बना मोर्चा झपटेंगे सत्ता-

मौनी बाबा कोई न कोई मिल जाएगा बेटा.

जोकर लिए हाथ में हम

तुम सत्ता चलो या अट्ठा...

 सुन्दर अभिव्यक्ति 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 22, 2013 at 4:15pm

आदरणीय संजीव सर जी क्या खूब कटाक्ष किया है इस राजनैतिक दौर पर आपने बहुत बहुत बधाई सहित धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 22, 2013 at 12:01am

आज की राजनीतिक दशा पर रचनाकार का क्रोध बिलबिला कर उफम आया है. सामयिक घटनाक्रम पर रचनाकर्म का एक सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए सादर धन्यवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
" आदरणीय लक्ष्मण भाईजी प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद"
11 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी ंसतरंगी होली पर सुंदर दोहावली के लिए हार्दिक बधाई"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं, हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत मनमोहक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कुंडलिया. . . . होली होली  के  हुड़दंग  की, मत  पूछो  कुछ बात ।छैल - …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"होली के रंग  : घनाक्षरी छंद  बरसत गुलाल कहीं और कहीं अबीर है ब्रज में तो चहुँओर होली का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"दोहे*****होली पर बदलाव  का, ऐसा उड़े गुलाल।कर दे नूतन सोच से, धरती-अम्बर लाल।।*भाईचारा,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कलियुग भी द्वापर काल लगे होली में रंग गुलाल लगे, सतरंगी सबके गाल लगे। होली में रंग गुलाल लगे। इस…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Mar 9
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Mar 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service