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कृष्ण तुम हो कहाँ ? Dr Nutan Gairola

तुम कौन ?


तुम कौन जो धीमे सा एक गीत सुना देते हो ,

मन के अन्दर एक रौशन करता दीप जला देते हो|

बंद कर ली मैंने सुननी कानों से आवाजें ,

जब से सुन ली मैंने अपने दिल की ही आवाजें ||


तुम भूखे बच्चो के मुंह से निकली क्रंदन वेदना सी,

तुम जर्जर होते अपेक्षित माँ बापू के विस्मय सी |

तुम पेट की भूख की खातिर दौड़ते बेरोजगार युवा सी,

तुम खुद को स्थापित करती एक नारी की कोशिश सी,

तुम आतंकियों की भेदी लाशो की निरीह आत्मा सी ||


तुम हो दर्द चहुँ दिशा फैला,

क्यों मन मेरे प्रज्वलित हुआ है,

धधका जाता है मेरे मन में फैला हुआ इक भय सा,

मैंने बंद कर ली है कानो से सुननी वो आवाजें

आत्म चिंतन - मंथन पीड़ा की,

दूर करे जो इस जग से मेरे

वो अवतरित हुआ इस युग का कृष्ण,

तुम हो या तुम हो या -

तुम में कौन ?

Dr Nutan Gairola on Friday, September 3, 2010 at 9:36pm



कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण को पुकार..

आज इस युग में हमें कृष्ण की बहुत जरुरत है समाज में छाई बुराइयों का अंत करने के लिए .. और वो कृष्ण हम में भी विद्वमान है .. जरूरत है अपने अन्दर झाँकने की ..और अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की .. बुराइयों को पराजित करने की और हिम्मत सच का साथ देने की ..
by Dr Nutan Gairola .. 20:41 ..01 - 09 - 2010

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Comment

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Comment by Dr Nutan on November 8, 2010 at 7:45pm
बृजेश जी !! धन्यवाद इस हौंश्ला अफजाई के लिए ..
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 5, 2010 at 10:51pm
Dr. Nootan ji ,
happy deepawali...I happened to see your sensitive appeal for Lord Krishna ..marvellous ..it has power to force him quit his disguise ..lovely poem dr. Nootan ji..thank you for making it available to read ..thank you again
Comment by Dr Nutan on September 5, 2010 at 8:13pm
Ganesh ji... aapka shukriya.. bahut... sadar shubhsandhyaa..
Comment by Dr Nutan on September 5, 2010 at 8:13pm
Baban ji .. Dhanyvaad.. ji haa krishn ji ne aisee seekh dee jo aaj adhyatm ki or jane ke mukhy raste bhi hai.aor kartvaya ke bhi...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 5, 2010 at 10:19am
आज इस युग में हमें कृष्ण की बहुत जरुरत है समाज में छाई बुराइयों का अंत करने के लिए .. और वो कृष्ण हम में भी विद्वमान है .. जरूरत है अपने अन्दर झाँकने की ..और अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की .. बुराइयों को पराजित करने की और हिम्मत सच का साथ देने की ..

बहुत ही सही बात कही है डॉक्टर साहिबा, कृष्ण और कंस तो सभी के अन्दर है, अब कोई कृष्ण को जागृत करता है और कोई कंस को,
कविता भी काफी अच्छी बनी है, इस सुंदर अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करे,
Comment by baban pandey on September 5, 2010 at 7:45am
कृष्ण की हमें जरुरत है ...उनके आर्थिक ,राजनितिक और सामाजिक लड़ाई से हमें सिख लेनी होगी

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