For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी एक खुली किताब !!!

जिंदगी एक खुली किताब है,
फिर भी ये किताब खुद के पास हो,
बेहतर
जो जाने कीमत इसकी,
जो जाने इज्जत इसकी,
जो इसके पन्नो का मोल समझे,
ये किताब हो तो उसके पास हो,

जो सर से लगाये यू ,
सरस्वती का वास हो,
भला हो या बुरा हो ,
अपना समझ कर जो माफ़ करे,
कुछ सीख नयी हो सीखलाने की,
दे वो सीख मृदुल मुस्कान से ,
जिंदगी की वो खुली किताब,
हो तो उसके पास हो |

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on September 4, 2010 at 6:40am
नूतन जी नमस्कार....

सबसे पहले तो मैं आपके पहले ब्लॉग के लिए बधाई देता हूँ....बहुत ही बढ़िया रचना है नूतन जी...
आशा ही नहीं पूर्ण विस्वास है की आगे भी आपकी रचनाएँ पढने को मिलती रहेंगी..
Comment by Dr Nutan on September 1, 2010 at 6:24pm
जगदीश तपिश जी ..शुक्रिया आपका
पर मैं आपकी बात पर अपनी बात अपने लफ़ज़ो मेी यू कहूँगी
जालिम होता जमाना तो भरोसा करता. जो होता दिल मे तो खुल कर ब्यान करता..
ये दुनिया तहज़ीब से चलती है अब मन में हो पीर तो भी जुबां से मिश्री घोलता.( नूतन )..तो ऐसे में आज के ज़माने में भरोसा क्या कीजियेगा ये तो वक़्त की दौलत है जो सनै सनै आती है .. सादर शुक्रिया .
Comment by Dr Nutan on September 1, 2010 at 5:55pm
To dear Jaya ji..... aapne sahi kaha .. ki kitabe sahi maayne me dost hai.......par mai kabhi hanshi majaak me bhi keh deti hoo ki ..I am not a book worm... aapne bahut sundar comment kiya... sadar.. dhanyvaad

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 1, 2010 at 11:29am
डॉ नूतन जी,

सब से पहले तो मैं oBo परिवार में आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ और आशा करता हूँ की आपका साथ हमेशा हमें मिलता रहेगा ! मुझे बहुत ख़ुशी है कि अब आप भी हमारी खुली किताब का एक बाब हो गए हैं !

आपकी कविता दिल को छू गई, आपने बिलकुल सही कहा की ज़िंदगी भी किसी खुली किताब ही की तरह है लेकिन इसको हरेक के सामने खोलकर नहीं रखा जा सकता ! इस सारगर्भित काव्यकृति के लिए दिल से साधुवाद देता हूँ ! एक शेअर आपके शेअर की नज़र :

//आप आए जो इस गुलशन में, ये लगा हमको
जैसे तार्रुफ़ किसी ने करा दिया हो बहार से !//

सादर
योगराज प्रभाकर
प्रधान सम्पादक
Comment by jagdishtapish on September 1, 2010 at 9:46am
manniya jaya ji aapne sahi farmaya --kitab hi to hamari sabse achchi dost --
naye mitra yaa nai kitabon par jara mushkil se hi bharosa kar pata hai har koi --isliye hamara manna hai purani kitaben aur purane dost hi vafadar hote hain
nai kitabon aur naye doston ko to parkhne ke bad hi bharosa kiya ja sakta hai ya un par koi ray jahir ki ja sakti hai
Comment by Jaya Sharma on September 1, 2010 at 6:56am
kitab hi to hai hamari sabse achchhi dost!
Badhiya!
Comment by Pankaj Trivedi on August 31, 2010 at 11:29pm
बहुत सुंदर.... आगे बढ़ो... स्वागत...
Comment by Dr Nutan on August 31, 2010 at 11:27pm
पहला दिन खुली किताब में
मित्रो के प्रोत्साहन से और एडमिनिस्ट्रेटर जी द्वारा मार्ग दर्शन से मैं बहुत प्रसन्न हूँ .. शायद कुछ लिखने योग्य बनूँ.. .. आप सभी का तहे दिल शुक्रिया ..
" यूं तो हुवा यहाँ आना पहली पहली बार है
पर लगता नहीं कभी ना गुजरे हो इन कुंच - ए - दीदार से.."
नूतन .. २३ :०९ .. ३१ - ०८ - २०१०
Comment by jagdishtapish on August 31, 2010 at 10:23pm
manniyaa dr nutan ji aapne hamen is yogya samjha
hradya se aabhari hain ham aapke bahut umda rachna ---zindagi ek khuli kitab hai ---there is no dout ---lekin ise apne pass rakhana chahiye --jo jane iski kimat --aur bhi achche khayal hai --apko bahut bahut badhai itni achchi rachna ke liye ---saadar ---
Comment by Pankaj Trivedi on August 31, 2010 at 10:13pm
डॉ. नूतनजी,
आपकी पहली पोस्ट - कविता - ज़िंदगी खुली किताब है... बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति है | कुछ सीखने की बात और मृदुल मुस्कान के साथ स्वागत है... धन्यवाद |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service