2122 1212 22
तेरी रहमत अगर हुई होती ।
ज़िंदगी आज ज़िंदगी होती ।
आज पत्ते भी सब हरे होते।
गर हवा इस तरफ चली होती।
राह होती नहीं कभी मुश्किल।
साथ तू भी अगर रही होती।
तू अगर राजदां बना होता।
कोई तुहमत नहीं लगी होती।
कारवाँ दूर तक गया होता।
सोच सबकी अगर भली होती।
वो जुदा हो के भी मिला होता।
बात "साहिल" अगर हुई होती।
केतन साहिल
अप्रकाशित और मौखिक
Comment
बहुत बढ़िया केतनजी बहुत अच्छी ग़ज़ल है बधाई आपको
बहुत ख़ूब केतन जी ...बधाई
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